- शायद ही किसी ने सोचा था कि दो दशक में 83 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से तैयार और प्रशिक्षित अफगान सुरक्षा बलों के पांव तालिबान के सामने इतनी तेजी से पूरी तरह उखड़ जाएंगे। कई मामलों में तो अफगान सुरक्षा बलों की तरफ से एक गोली तक नहीं चलाई गई।
ऐसे में सवाल उठता है कि अमेरिका के इस भारी-भरकम निवेश का फायदा किसे मिला, जवाब है तालिबान। उन्होंने अफगानिस्तान में सिर्फ राजनीतिक सत्ता पर ही कब्जा नहीं जमाया, उन्होंने अमेरिका से आए हथियार, गोलाबारूद, हेलिकॉप्टर आदि भी अपने कब्जे में ले लिए।
तालिबान ने जब जिला केंद्रों की रक्षा में नाकाम अफगान बलों को रौंदा तो उनके साथ ही उनके आधुनिक सैन्य उपकरण व साजो-सामान पर भी कब्जा कर लिया। तालिबान को सबसे बड़ा फायदा तब हुआ जब प्रांतीय राजधानियों और सैन्य ठिकानों पर चौंकाने वाली गति से कब्जा करने के बाद उसकी पहुंच लड़ाकू विमानों तक हो गई। सप्ताहांत तक उसके पास काबुल का नियंत्रण भी आ गया।
अमेरिका के एक अधिकारी ने सोमवार को इस बात की पुष्टि की कि तालिबान के पास अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में आपूर्ति किए गए हथियार व उपकरण अचानक बड़ी मात्रा में पहुंच गए हैं। इस मामले पर सार्वजनिक तौर पर चर्चा के लिए अधिकृत नहीं होने की वजह से अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बात की।