- नई दिल्ली। इन दिनों अमेरिका की रेड लिस्ट काफी सुर्खियों में है। यह कहा जा रहा है कि अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों के बहाने अपने रणनीतिक और सामरिक संबंधों को एक नई दिशा दी है। इसके पीछे एक बड़ी वजह यह है कि पाकिस्तान और चीन का नाम इस सूची में शामिल है और भारत इस सूची से बाहर है। आइए जानते हैं कि इस रेड लिस्ट के क्या मायने हैं। पाकिस्तान और चीन इस लिस्ट को लेकर क्यों खफा है। भारत को इस लिस्ट के बाहर रखने की क्या है बड़ी वजह। इसके क्या हैं कूटनीतिक मायने। इन सब मामलों में क्या है प्रो. हर्ष वी पंत (आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली में निदेशक, अध्ययन और सामरिक अध्ययन कार्यक्रम के प्रमुख) की राय।
अमेरिकी पैनल की सिफारिश के बावजूद रेड लिस्ट में क्यों नहीं भारत ?
अमेरिकी रेड लिस्ट ने यह साबित कर दिया है कि बाइडन प्रशासन भारत के साथ अपने रिश्तों को कितना अहमियत देता है। बाइडन प्रशासन की नजर में भारत कितना अहम है। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि अमेरिका में धार्मिक आजादी का आकलन करने वाले अमेरिकी पैनल के सुझाव के बाद भी बाइडन प्रशासन ने धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वालों देशों की सूची से भारत को अलग रखा है। अमेरिकी पैनल यूएस कमिशन आन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम ने लगातार दूसरे साल भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर चिंता प्रगट करते हुए उसे रेड लिस्ट में शामिल करने का सुझाव दिया था।
क्या यह भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत है ?
1- जी हां। हम कह सकते हैं कि यह भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत है। इसमें कोई शक नहीं कि मोदी के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के बीच संबंधों ने एक नई ऊंचाई हासिल की है। दुनिया में धार्मिक स्वतंत्रता का निर्धारण करने वाले अमेरिकी पैनल ने लगातार दूसरी बाद भारत को रेड लिस्ट में शामिल करने का सुझाव दिया है। दोनों बार अमेरिका ने भारत को रेड लिस्ट से बाहर रखा है। कहीं न कहीं यह भारतीय कूटनीति की बड़ी जीत है।