नई दिल्ली। नई आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत देने के निचली अदालत के आदेश पर दिल्ली हाई कोर्ट की अंतरिम रोक के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। निचली अदालत ने 20 जून को अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने शुक्रवार को इस पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
ताजा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आबकारी नीति मामले में निचली अदालत द्वारा उन्हें दी गई जमानत पर रोक लगाने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई 26 जून यानी दिन बुधवार के लिए स्थगित कर दी है।
हाई कोर्ट ने शुक्रवार को ईडी को दी थी अंतरिम राहत
आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था। हाई कोर्ट ने शुक्रवार को ईडी को अंतरिम राहत नहीं दी होती तो केजरीवाल शुक्रवार को तिहाड़ जेल से बाहर आ सकते थे। हाई कोर्ट की एक अवकाशकालीन पीठ ने कहा था कि इस आदेश तक आक्षेपित आदेश का क्रियान्वयन स्थगित रहेगा।
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को 24 जून तक लिखित प्रतिवेदन दाखिल करने के लिए कहा था। उनकी ओर से कहा गया था कि दो-तीन दिन के लिए आदेश सुरक्षित रख जा रहा है, क्योंकि वे पूरे मामले के रिकॉर्ड का अवलोकन करना चाहते हैं।
कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नोटिस जारी कर ईडी की उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें निचली अदालत के 20 जून के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसके तहत उन्हें जमानत दी गई थी।
सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तारीख तय
कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तारीख तय की है। अपने जमानत आदेश में ट्रायल कोर्ट ने माना था कि प्रथम दृष्टया केजरीवाल का अपराध अभी तक स्थापित नहीं हुआ है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी अपराध की आय से उन्हें जोड़ने वाले प्रत्यक्ष सुबूत प्रस्तुत करने में विफल रही है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने आप नेताओं को बताया पाखंडी
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आम आदमी पार्टी के नेताओं को पाखंडी करार देते हुए कहा कि अभी कुछ दिन पहले ही आप नेता ईडी और केंद्र सरकार की इस बात पर निंदा कर रहे थे कि बिना आर्डर के ही ईडी ने हाई कोर्ट का रुख किया। जबकि आप नेता ने स्वयं उसी रास्ते पर चलकर हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। जबकि अभी तक हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई ही पूरी नहीं हुई है।