सम्पादकीय

अर्थव्यवस्थामें गिरावटका परिदृश्य


डा. जयंतीलाल भंडारीï    

चालू वित्त वर्षमें अर्थव्यवस्थामें गिरावटके बाद तीव्र गतिसे वृद्धि मुश्किल होगी, जैसा कि पिछली बार राष्ट्रीय स्तरपर लाकडाउन हटनेके बाद देखा गया था। इसका कारण इस बार उपभोक्ता धारण कमजोर बनी हुई है क्योंकि लोग पिछले सालके मुकाबले महामारीकी दूसरी लहरके असरको देखकर काफी चिंतित हैं। गौरतलब है कि अभी जहां कोरोना महामारीकी लहरसे मिली भारी गिरावटसे देशकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह उबर नहीं पायी हैै। हालमें प्रकाशित विभिन्न राष्ट्रीय और वैश्विक अध्ययन रिपोर्टोंके मुताबिक कोरोनाकी दूसरी लहरसे भारतके सामने विकास दरकी चुनौतियां बढ़ गयी हैं। ४ जूनको रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने वित्त वर्ष २०२१-२२ के लिए अपने पूर्व निर्धारित १०.५ फीसदीकी आर्थिक वृद्धिके अनुमानको घटाकर ९.५ फीसदी कर दिया है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने भी अपने अनुमानको घटाकर ७.९ फीसदी कर दिया है, जो पहले १०.४ फीसदी था। इसी तरहसे वैश्विक संघटनों अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स, बार्कलेम, ओईसीडी तथा जेपी मॉर्गन आदिने भी भारतके लिए विकास दरके अपने पूर्व निर्धारित अनुमानोंको कम कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि देशके अधिकतर उद्योग-कारोबार कोरोनाकी दूसरी लहरके आनेसे पहले चालू वित्त वर्ष २०२१-२२ के दौरान अपनी बिक्रीमें दो अंकोंकी वृद्धिको लेकर उत्साहित थे, लेकिन अब स्थिति वैसी नहीं रह गयी है। दूसरी लहरने उन संभावनाओंको भी घटाया है, जिनमें कहा जा रहा था कि पिछले वित्त वर्षकी आर्थिक निराशाएं चालू वित्त वर्षमें आर्थिक आशाओंमें बदल जायंगी। ज्ञातव्य है कि पिछले माह ३१ मईको केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालयके द्वारा जारी किये गये वित्त वर्ष २०२०-२१ के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अंतरिम आंकड़ोंके अनुसार जीडीपीमें ७.३ फीसदीकी गिरावट आयी है। पिछले चार दशकसे देशकी जीडीपी वृद्धि दर कभी ऋणात्मक नहीं हुई थी। कोरोनाके कारण लगाये गये लाकडाउनकी वजहसे २०२०-२१ की पहली तिमाहीमें जीडीपी वृद्धिमें २३.९ फीसदीकी गिरावट आयी थी। इसलिए पिछले पूरे वर्षकी गिरावटके अनुमान हर किसीके द्वारा लगाये जा रहे थे। फिर भी पिछले वित्तीय वर्षके जीडीपीके आंकड़े अनुमानसे संतोषप्रद रहनेका प्रमुख कारण जनवरीसे मार्च २०२१ की चौथी तिमाहीमें सभी क्षेत्रोंमें काफी सुधार होनेसे जीडीपीमें १.६ फीसदीकी वृद्धि होना रहा है। खास तौरसे कृषि एवं सहायक क्षेत्रकी वृद्धिपर पहलीसे चौथी तिमाहीतक लगातार बढ़ते हुए दिखाई दी है। चूंकि देशमें इस बार कोरोनाकी दूसरी लहरके बीच पिछले वर्ष २०२० की तरह पूरी तरहसे देशव्यापी कठोर लाकडाउन नहीं लगाया गया है, अतएव विनिर्माण सेक्टरकी आपूर्तिपर अधिक बुरा असर नहीं पड़ा है।

आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई) मई २०२१ में घटकर ५०.८ पर आ गया, जो अप्रैलमें ५५.५ अंकपर था। इस दौरान कंपनियोंके पास नया काम और उत्पादन पिछले दस महीनोंमें सबसे कम रहा। पिछले साल मईमें विनिर्माण पीएमआई घटकर ३०.८ अंक रह गया था। इसी तरह आईएचएस इंडिया सर्विसेज पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) मईमें गिरकर ४६.४ पर आ गया, जो अप्रैलमें ५४ था। भारतके सेवा क्षेत्रमें गतिविधियां आठ महीनेमें पहली बार संकुचित हुई हैं। लेकिन वर्ष २०२१-२२ के अप्रैलसे मई महीनोंमें दूसरी लहरके दौरान संक्रमणमें वृद्धिके कारण ग्रामीण एवं कस्बाई क्षेत्रोंमें खपत बुरी तरह प्रभावित हुई है। दूसरी लहरका कुल उपभोग, व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और सेवाओंपर बड़ा असर दिखाई दिया है। रेटिंग एजेंसी मूडीजका कहना है कि दूसरी लहरने परिवारों और छोटे कारोबारोंका वित्तीय जोखिम बढ़ा दिया है। इसके कारण आगे चलकर बैंकोंके लाभपर असर पड़ सकता है। सेंटर फॉर मॉनेटरिंग इंडियन इकोनॉमीकी रिपोर्टके मुताबिक देशमें बेरोजगारी दर अप्रैल २०२१ में आठ फीसदी थी। वह मई २०२१ से १२ फीसदीपर पहुंच गयी है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि केंद्र सरकार, विभिन्न राज्य सरकारों और आरबीआईने महामारीकी दूसरी लहरके बीच अर्थव्यवस्थाके विभिन्न क्षेत्रोंकी मददके लिए कुछ कदम अवश्य आगे बढ़ाये हैं। केंद्र सरकारने गरीब परिवारोंके लिए एक बार फिर मई २०२१ से प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की है। इससे ८० करोड़ लाभार्थी लाभान्वित होंगे। प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजनापर २६००० करोड़ रुपयेसे ज्यादा खर्च होंगे। यह भी महत्वपूर्ण है कि आरबीआईने व्यक्तिगत कर्जदारों एवं छोटे कारोबारोंके लिए कर्ज पुनर्गठनकी जो सुविधा बढ़ायी है और कर्जका विस्तार किया है, उससे छोटे उद्योग-कारोबारको लाभ होगा।

इस नयी सुविधाके तहत ५० करोड़ रुपयेतकके बकायेवाले वह कर्जदार अपना ऋण दो सालके लिए पुनर्गठित करा सकते हैं, जिन्होंने पहले मॉरेटोरियम या पुनर्गठनका लाभ नहीं लिया है। स्वास्थ्य क्षेत्रकी वित्तीय जरूरतोंको पूरा करनेके लिए आरबीआईने ५०,००० करोड़ रुपयेकी नकदीकी व्यवस्था की है। इसके अलावा आरबीआईने ४ जूनको पर्यटन, होटल और विमानन जैसे उन क्षेत्रोंके लिए १५,००० करोड़ रुपयेके नकदी समर्थनकी घोषणा की, जो कोरोना महामारीकी दूसरी लहरसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। लेकिन कोरोनाकी दूसरी लहरके कारण अर्थव्यवस्थाके जिन सेक्टरोंमें भारी गिरावट दिखाई दे रही है, उन सेक्टरोंकी समस्याओंका शीघ्रतापूर्वक निवारण किया जाना होगा। लॉकडाउनसे प्रभावित होनेवाले उद्योग-कारोबारको गतिशील करनेके लिए उपयुक्त राहत पैकेज सुनिश्चित करने होंगे। उम्मीद है कि सरकार कोरोनाकी दूसरी लहरसे निर्मित मानवीय पीड़ाओंको कम करनेके साथ विकास दर बढ़ाने हेतु टीकाकरणमें तेजी, उद्योग-कारोबारके लिए उपयुक्त राहत पैकेज और नयी मांगके निर्माण हेतु लोगोंकी क्रयशक्ति बढ़ानेके लिए रणनीतिक रूपसे आगे बढ़ेगी। निश्चित रूपसे ऐसे प्रयासोंसे कोरोनाकी घातक लहरकी चुनौतियोंके बीच भी चालू वित्तीय वर्ष २०२१-२२ के अंतमें विकास दर सातसे आठ फीसदीके आसपास केंद्रित होते हुए दिखाई दे सकेगी।