सम्पादकीय

टीकाकरण अभियान


कोरोना वायरसके खिलाफ वैश्विक लड़ाई अब टीकाकरण अभियानके मोड़पर पहुंच गयी है। ब्रिटेन और अमेरिकाके बाद यूरोपीय संघके २७ देशोंमें टीकाकरण अभियानकी शुरुआत रविवारसे हो गयी है। पहले चरणमें कोरोना योद्धाओंको टीके लगाये जा रहे हैं, जिनमें चिकित्साकर्मी, नर्सिंग होमके कर्मचारी और नेताओंको शामिल गया है। यूरोपीय संघके कुछ देशों जर्मनी, हंगरी और स्लोवाकियामें शनिवारको ही टीकाकरण शुरू कर दिया गया। भारतमें भी टीकाकरण अभियानकी तैयारियां तेज हो गयी हैं। अनेक राज्योंमें इसकी तैयारी अन्तिम चरणमें है। चार राज्यों आंध्रप्रदेश, पंजाब, गुजरात और असममें सोमवारसे दो दिनका ड्राईरन (पूर्वाभ्यास) शुरू हो गया। यह सुखद समाचार है, जिसका उद्देश्य टीकाकरणसे पहलेकी सभी तैयारियोंका जायजा लेना है। कोल्ड स्टोरेज और परिवहन व्यवस्थाकी जांच पड़ताल इसीका हिस्सा है। यह कार्यक्रम चार राज्योंके चुनिन्दा जिलोंमें शुरू किया गया है। सभी राज्य केन्द्र सरकारको अपनी रिपोर्ट भी देंगे। इसके उपरान्त पहले चरणमें ३० करोड़ लोगोंको टीका लगाया जायगा। मेडिकल अधिकारियों सहित अबतक सात हजार कर्मचारियोंको प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। देशव्यापी स्तरपर टीकाकरणका अभियान सफलतापूर्वक संचालित करना भी बड़ी चुनौती है। सतत निगरानी और समन्वयके अतिरिक्त पूरी सावधानी बरतनी होगी। टीका लगानेके बाद सम्बन्धित व्यक्तिमें होनेवाले शारीरिक परिवर्तनोंपर भी नजर रखना होगा। इसमें टीकाके प्रति विश्वास सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष है। साथ ही पूरे देशमें यह टीका नि:शुल्क लगानेकी आवश्यकता है। ऐसे लोगोंकी बड़ी संख्या है, जो इसका खर्च वहन नहीं कर सकते हैं। उन सभी लोगोंको टीका नि:शुल्क उपलब्ध कराना सरकारका दायित्व है। कोरोना वायरसका रूप भी बदल रहा है। विश्वके कई देश इसकी चपेटमें आ गये हैं। ब्रिटेनमें मिले कोरोनाके नये प्रकारको रोकनेके लिए कई देशोंने सख्त कदम उठाये हैं। भारतमें भी ब्रिटेनसे लौटनेवालोंको पृथकवासमें रखा जा रहा है। कोरोनाका नया स्ट्रेन काफी घातक है और इसके प्रसारपर अंकुश लगाना बहुत जरूरी है। भारतमें आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेकाकी जो वैक्सीन तैयार की जा रही है वह सौ प्रतिशत सुरक्षित होनेके साथ ही नये स्ट्रेनके खिलाफ भी कारगर साबित हो सकती है, ऐसा वैज्ञानिकोंका दावा है। भारतमें जिन तीन वैक्सीनको आपात इस्तेमालकी मंजूरी मिलनेकी उम्मीद है, उनमें कोविशील्ड सबसे आगे है। वैसे भारतमें अब कोरोनाके सक्रिय मामले कम हो रहे हैं लेकिन चुनौती और खतरे पूर्ववत हैं। इसलिए सावधानीमें कोई कमी नहीं होनी चाहिए।
उपभोक्ताओंको राहत
राष्टï्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) का शापिंग मालमें ग्राहकोंसे कैरीबैगकी अलगसे कीमत वसूलना बंद करनेका निर्देश उपभोक्तओंको राहत देनेवाला है। आयोगने एक मालकी पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए ग्राहकोंसे कैरीबैगके लिए अलगसे १८ रुपये कीमत वसूले जानेको अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस (अव्यावहारिक व्यापार) करार दिया है। साथ ही तत्काल प्रभावसे सामान खरीदनेके बाद भुगतान काउण्टरपर उपभोक्तासे कैरीबैगकी राशि काटनेकी काररवाई बंद करनेका निर्देश दिया है। आयोगका फैसला उचित है। इसका कड़ाईसे पालन किया जाना चाहिए। सामान्य तौरपर खुदरा व्यापारी अपने ग्राहकोंको मुफ्तमें कैरीबैग उपलब्ध कराते हैं, ताकि उन्हें खरीदा हुआ माल ले जानेमें सुविधा हो। शापिंग माल भी पहले ग्राहकोंको मुफ्तमें पालीथिनका कैरीबैग उपलब्ध कराता था लेकिन अब उसने कपड़ेका कैरीबैग देना शुरू कर दिया है जिसकी अलगसे कीमत ली जाती है। आयोगने उपभोक्ताको सामान खरीदनेके पूर्व कैरीबैगकी गुणवत्ता और अलगसे कीमत चुकानेकी जानकारी न दिये जानेको भी गम्भीरतासे लिया और इसे उपभोक्ताके अधिकारका हनन बताया। उपभोक्ताको इसकी जानकारी पहले होनी चाहिए ताकि वह तय करे कि उसे वह उस मालसे सामान खरीदे या नहीं। इस सम्बन्धमें आयोगका शापिंग मालको कैरीबैगके बारेमें प्रवेश द्वारपर ही उचित साइन बोर्डसे उपभोक्ताओंको पूरी जानकारी देनेका आदेश न्यायसंगत है। बिना पूर्व जानकारीके भुगतान काउण्टरपर कैरीबैगकी अलगसे कीमत वसूलना दुकानदारोंकी मनमानी एवं उपभोक्ताओंको परेशान और प्रताडि़त करनेवाला है। राज्य सरकारोंकी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने यहां शापिंग मालोंपर निगरानी रखें और आयोगके निर्देशोंको सख्तीसे लागू करें जिससे उपभोक्ताओंके शोषणपर प्रभावी रोक लगाया जा सके।