कर्नाटक में वेतन संबंधी मुद्दों को लेकर सड़क परिवहन निगम (RTC) के ड्राइवर और कंडक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के तीसरे दिन शुक्रवार को भी राज्य के अधिकतर हिस्सों में बस सेवाएं प्रभावित रही. वहीं राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार की शाम को एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया था कि सरकार छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट के क्रियान्वयन की मांगों को लेकर राजी नहीं होगी. वहीं सख्त कार्रवाई की चेतावनी के बावजूद आरटीसी के कर्मचारियों ने हड़ताल जारी रखने का फैसला किया. सभी चार परिवहन निगम के अधिकतर कर्मचारियों के काम पर ना आने के कारण, बेंगलुरु सहित पूरे राज्य में ज्यादातर सड़कों से बसें नदारद रहीं, जिससे यात्रियों का परेशानी का सामना करना पड़ा.
दूर-दराज के क्षेत्रों में और कार्यालय जाने वाले लोग इस हड़ताल से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए. हड़ताल के कारण लोगों को हो रही असुविधा को दूर करने के मकसद से सरकार ने निजी परिवहन संचालकों की सेवाएं लेकर तथा कुछ विशेष ट्रेनें चलाने का प्रबंध किया. निजी बसें, मिनी बसें, मैक्सी कैब और अन्य परिवहन वाहन भी राज्य के कई हिस्सों में चलते नजर आए. मेट्रो ने भी अपनी सेवाएं बढ़ाकर सुबह सात बजे से रात नौ बजे तक कर दी हैं. कई निजी संचालकों ने बताया कि अधिकतर यात्रियों को अब भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
कर्मचारी से काम पर लौटने का अनुरोध
सूत्रों ने बताया कि आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एसमा) लगाने की धमकी के बाद आरटीसी के कुछ कर्मचारी काम पर लौट आए और कुछ स्थानों पर बसें सड़कों पर चलीं. परिवहन विभाग की प्रमुख सचिव अंजुम परवेज ने बृहस्पतिवार को बताया था कि अस्थायी व्यवस्था के तौर पर पिछले दो वर्षों में सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों से सेवा पर वापस आने का अनुरोध किया गया है. उन्होंने कहा, ” उनका शारीरिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है और उनकी आंखों की जांच भी की जाएगी.”उन्होंने कर्मचारियों से भी काम पर वापस आने का अनुरोध किया, क्योंकि सरकार ने उनकी नौ मांगों में से आठ मांगें मान ली हैं और अंतरिम राहत के तौर पर आठ प्रतिशत वेतन वृद्धि का फैसला किया है.