सरकारी स्कूलों में बढ़ी बड़ी उम्र के बच्चों की संख्या
(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। राज्य में सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ी है, जबकि प्राइवेट स्कूलों में घटी है। पिछले साल यानी वर्ष 2020 में जहां 76.9 फीसदी बच्चे सरकारी स्कूलों में नामांकित थे, वहीं इस साल सरकारी स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या बढ़ कर 80.5 फीसदी पर पहुंच गयी है।
यह खुलासा 16वीं ऐन्यूअल स्टैटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ग्रामीण), 2021 में हुआ है। यह रिपोर्ट बुधवार को ऑनलाइन जारी हुई है। हर साल राष्ट्रीय स्तर पर होने वाला सर्वे इस वर्ष कोविड महामारी के कारण गांव-गांव जाकर सर्वेक्षण संभव नहीं था, इसलिए इसे फोन आधारित सर्वेक्षण के रूप में किया गया। पहले लॉकडाउन के 18 महीने बाद सितंबर-अक्तूबर, 2021 में हुए इस सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है कि महामारी की शुरुआत के बाद से 5-16 आयु वर्ग के बच्चे घर पर कैसे पढ़ रहे हैं और अब स्कूल खुलने पर परिवारों और स्कूलों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 25 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में हुआ यह सर्वेक्षण 76,706 घरों और 5-16 आयु वर्ग के 75,234 बच्चों तक पहुंचा। 7,299 प्राइमरी कक्षाओं वाले सरकारी स्कूलों के शिक्षक या मुख्य अध्यापक सर्वेक्षण के दायरे में रहे।
बिहार की बात करें, तो राज्य में सर्वेक्षण की पहुंच 3,590 घरों के 5-16 आयुवर्ग के 4,832 बच्चों तक रही। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में पिछले साल यानी वर्ष 2020 में इस साल वर्ष 2021 में 6-14 आयुवर्ग के बच्चों का सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ा है। वर्ष 2018 में 6-14 आयुवर्ग के अनामांकित बच्चों का अनुपात 1.4 प्रतिशत था, जो वर्ष 2020 में बढ़ कर 4.6 प्रतिशत हो गया था, में साल 2021 में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
चौंकाने वाली बात यह है कि सरकारी स्कूलों में बड़ी उम्र के बच्चों की संख्या बढ़ी है। 15-16 आयुवर्ग के बच्चों का सरकारी स्कूलों में नामांकन का आंकड़ा 2018 में 57.4 प्रतिशत था, जो 2021 में बढ़ कर 67.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है। इस बदलाव के दो मुख्य कारण हैं। पहला कि इस आयुवर्ग के अनामांकित बच्चों का अनुपात 2018 में 12.1 प्रतिशत था, जो 2021 में घट कर 6.6 प्रतिशत हो गया है। दूसरा यह कि प्राइवेट स्कूलों में नामांकन घटा है।
हालांकि, राज्य स्तर पर नामांकन के आंकड़ों में काफी भिन्नताएं हैं। सरकारी स्कूलों में नामांकन में राष्ट्रीय वृद्धि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा जैसे उत्तर भारत के बड़े राज्यों और महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल और आंध्रप्रदेश जैसे दक्षिण के राज्यों के कारण हुई है। इसके विपरीत कई उत्तर-पूर्वी राज्यों में सरकारी स्कूलों के नामांकन में गिरावट आयी है और अनामांकित बच्चों के अनुपात में वृद्धि हुई है।