आगरा। होमी भाभा और विक्रम साराभाई के जीवन पर आधारित वेब सीरीज में एक दृश्य है, जहां दोनों बैठकर आजाद भारत के तिरंगे को देखते हैं और कहते हैं कि आने वाली पीढ़ियों के सामने अब शिक्षा के क्षेत्र में मौकों और संभावनाओं की कमी नहीं आएगी।उनकी यह सोच आजादी के 75 साल बाद भी डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में साकार होते नहीं दिख रही है क्योंकि यहां आज भी अपनी डिग्री और अंकतालिका के लिए छात्रों को सालों इंतजार करना पड़ता है।इस इंतजार को खत्म करने के लिए ही विश्वविद्यालय एक कदम और उठाने जा रहा है। अब विश्वविद्यालय में काल सेंटर खोला जाएगा, जहां उनकी समस्याओं का समाधान निर्धारित अवधि में कर दिया जाएगा। डिग्री और अंकतालिकाएं छात्रों के घरों में पहुंचेंगी।अगले एक महीने में काल सेंटर शुरू हो जाएगा, यह दावा कार्यवाहक कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने किया है।
विश्वविद्यालय में बनना था ट्रिब्यूनल
डिग्रियों की समस्या को दूर करने के लिए तत्कालीन कुलपति डा. अरविंद दीक्षित ने शिकायत सुनवाई प्रकोष्ठ को सक्रिय करने की बात की थी। इसके ऊपर ट्रिब्यूनल जैसा बनाने की घोषणा की गई थी, जहां विद्यार्थी 15 दिन तक समस्या समाधान न होने पर शिकायत कर सकता था। डा. दीक्षित का कहना था कि विद्यार्थी डिग्री और अंकतालिकाओं की समस्या को लेकर कोर्ट भी जाते हैं, इसलिए विश्वविद्यालय में ही यह सुविधा मिलेगी।