Saraswati Puja 2022:आज, 05 फरवरी को बसंत पंचमी का त्योहार है।पौराणिक मान्यता के अनुसार बसंत पंचमी के दिन ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती का अवतरण हुआ था। मान्यता है कि मां सरस्वती के आगमन से ही धरती में कला, संगीत, वाणी और ज्ञान का संचार हुआ। आज के दिन मां सरस्वती के व्रत और पूजन का विधान है। माना जाता है कि आज के दिन मां सरस्वती के पूजन से शिक्षा, कला, संगीत और रचनात्मकता के क्षेत्र में निश्चित सफलता मिलती है। हिंदू धर्म में बंसत पंचमी के दिन विद्या आरंभ करने की परंपरा है। इस दिन को बच्चों का यज्ञोपवीत करने के लिए भी शुभ माना जाता है।
बसंत पंचमी के दिन सफेद या पीले रंग के कपड़े पहन कर मां सरस्वती का पूजन करना चाहिए। मां सरस्वती को भी इसी रंग के वस्त्र और फूल चढ़ाए। ये दोनों ही रंग मां सरस्वती को विशेष रूप से प्रिय है। मां सरस्वती के पूजन के अंत में मां सरस्वती की इस वंदना और आरती का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से मां सरस्वती जरूर प्रसन्न होती हैं और शिक्षा, कला,संगीत के क्षेत्र में सफलता का वरदान प्रदान करती हैं।
मां सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्॥2॥
मां सरस्वती की आरती –
जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
॥ जय सरस्वती माता…॥
माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,