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आपकी जेब पर भी पड़ेगा यूक्रेन संकट का असर, इन कारणों से बढ़ेंगी बिजली दरें!


नई दिल्ली, । रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कोयले की कीमतों में उछाल से अगले कुछ दिनों में बिजली के बिल आम आदमी की जेब पर बोझ डाल सकते हैं। युद्ध से पैदा संकट ने कोयले की कीमत बढ़ा दी है, जो देश भर में ताप विद्युत इकाइयों द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक प्रमुख कच्चा माल है। इस समय भारत के कई अति-महत्वपूर्ण ताप विद्युत संयंत्र आयातित कोयले पर निर्भर हैं।

घरेलू बाजार में कोयले का दाम 10,000 रुपये प्रति टन
पिछले दो हफ्तों में तेल और गैस की कीमतों में उछाल के बाद वैश्विक कोयले की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है, क्योंकि यूक्रेन में संघर्ष तेज हो गया है। इसके अलावा, भू-राजनीतिक जोखिमों के कारण कोयला शिपमेंट के लिए शिपिंग, लॉजिस्टिक्स और बीमा लागत भी बढ़ गई है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस साल अब तक कोयले की कीमत 158 फीसदी बढ़कर 435 डॉलर प्रति टन हो गई है। साल 2021 में इसमें 109 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। वहीं, घरेलू बाजार में कोयले का दाम 10,000 रुपये प्रति टन पर पहुंच गया है। अनुमान है कि कोयले की कीमतों में 10 डॉलर प्रति टन की वृद्धि से बिजली की लागत लगभग 32 पैसे प्रति यूनिट बढ़ जाएगी।

बढ़ेगा टैरिफ रेट

एक्यूइट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा कि भारतीय बिजली संयंत्रों के लिए आयातित कोयले की लागत वस्तुत: अव्यावहारिक हो गई है, क्योंकि इनमें से कई संयंत्रों में प्रतिस्पर्धी बोली निर्धारित टैरिफ संरचना है। पास थ्रू संरचना वाले संयंत्रों के लिए परिवर्तनीय टैरिफ आमतौर पर वार्षिक आधार पर रीसेट किया जाता है और यह सीआईएल स्रोतों से खरीद लागत पर निर्भर करेगा, जो वैश्विक कोयले की कीमतों से सीधे नहीं जुड़ा है। आगे उन्होंने कहा कि आयातित कोयले पर चलने वाले संयंत्र और जहां बिजली व्यापारी के आधार पर बेची जा रही है, वहां टैरिफ और बढ़ सकती है। वित्तीय रूप से विवश राज्य वितरण कंपनियों की इतनी महंगी बिजली खरीदने की क्षमता को देखने की जरूरत है।