पटना

आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए कैबिनेट ने दी है 838 करोड़ की मंजूरी : सीएम


नीतीश ने किया तीनदिवसीय आयुर्वेद पर्व का शुभारम्भ

राजगीर (नालंदा) (आससे)। आयुर्वेद का चिकित्सा पद्धति काफी पुराना रहा है। आज हम लोग प्रकृति की ओर लौट रहे हैं। इस आयुर्वेद को अपनाकर ही अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं। इसके लिए बिहार सरकार आयुर्वेद चिकित्सा के विकास के लिए 838 करोड़ रुपये की धन राशि की मंजूरी कैबिनेट में दी है। यह बातें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजगीर के इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में चल रहे तीन दिवसीय आयुर्वेद चिकित्सा पर्व की सम्मेलन पर दीप प्रज्वलित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में बिहार में आयुर्वेद चिकित्सा का विकास ऐतिहासिक होगा इसके लिए मैंने पहले ही काफी चिंतन कर चुका हूं। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक कोरोना कॉल मे भी देखा गया है कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से कोरोना के मरीज काढ़ा पीकर काफी ठीक हुए हैं। इसलिए हम लोगों को इन चीजों को भुलाना नहीं चाहिए। आज आयुर्वेद चिकित्सा को अपनाकर ही जीवन को अच्छे तरीके से जी सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पूर्वज भी आयुर्वेद चिकित्सा के प्रति काफी जानकार हुआ करते थे। उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी के अलावे दादा एवं बड़े भाई भी वैद्य है। इसलिए हमारी जिंदगी भी एक आयुर्वेद वैद्य से ही गुजरा है इसलिए इसकी जानकारी हमें अच्छे तरीके से है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए कई जगहों पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद तिब्बती कॉलेज का विकास 2016 में किया गया था इसके अलावे नालंदा मेडिकल कॉलेज के पास 10 एकड़ भूमि लिया गया है, जहां 2 साल के अंदर शिफ्ट कर दिया जाएगा। आयुर्वेदिक कॉलेजों के विकास के लिए मुजफ्फरपुर, दरभंगा, बेगूसराय, भागलपुर, आदि स्थानों में आयुर्वेदिक कॉलेज का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए पहले ही 38 सौ करोड़ रुपए की मंजूरी कैबिनेट मे कर दी है।

श्री कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा के साथ-साथ आयुर्वेद चिकित्सा एवं नेचुरो पैथ, योगा, युनानी, होमियोपैथ, को बढ़ावा देना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सब ठीक-ठाक रहा तो जल्द ही प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के रूप में राजगीर में नेचुरो पैथ की सेन्टर खोला जाएगा इसकी तैयारी चल रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजगीर के ऐतिहासिक पंचवटी पर्वत की खासियत के बारे में उन्होंने आए हुए डेलीगेस्ट को विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने कहां की राजगीर की भूमि काफी अद्भुत है यहां आयुर्वेद की जड़ी बूटी काफी मात्रा में मिलती है यहां राजगीर के जंगलों से जड़ी बूटी लोग बाहर लेकर जाते हैं और अपने बीमारी का इलाज कराते हैं।

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने इस राजगीर के जंगलों में जड़ी बुटी को लेकर वन एवं पर्यावरण विभाग की टीम को इस जड़ी बूटी के रख-रखाव एवं विकास के लिए इस पर रिसर्च किया जा रहा है, ताकि लोग इसकी महत्ता को अधिक से अधिक जानकारी हासिल कर इसका लाभ उठा सकें। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राजगीर आयुर्वेद का इतिहास काफी पुराना रहा है। जब भगवान बुद्ध राजगीर आए थे और वेणुवन में प्रवास किए थे, तब भगवान बुद्ध को देखने वाले आयुर्वेद चिकित्सा के वैद्य यही के थे। लोगों को आयुर्वेद पर भरोसा है इससे बढ़कर कोई बात नहीं आयुर्वेद को बढ़ावा दीजिए और इसे आप लोग अपनाइए।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आए हुए अतिथियों को राजगीर के महत्व के बारे में विस्तार पूर्वक बताएं उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों से आए लोग एक बार राजगीर के विकास को जरूर देखें। उन्होंने कहा कि राजगीर सभी धर्मों का संगम स्थल है इसलिए राजगीर का भूमि काफी पवित्र है। इस जगह से जो भी कार्य की शुरुआत होती है वह काफी अच्छा रहता है। उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि आए हुए अतिथियों को राजगीर के वादियों की सैर कराएं। इस कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आयुर्वेद चिकित्सकों के द्वारा लिखे गए आयुष बुक स्मारिका का विमोचन किया गया।

आयुर्वेद चिकित्सा कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं भारत सरकार आयुष मंत्रलय के सचिव पदम्श्री वैद्य राजेश कोटेजा ने कहा कि आयुर्वेद को लेकर आयुष क्षेत्र में सर्वांगीण विकास की जा रही है। आज आयुर्वेद को लेकर देश में रहने वाले लोगों ने चिकित्सीय सेवा पर विशेष ध्यान दे रहे हैं ।उन्होंने कहा कि कोरोना काल के महामारी के दौरान आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति काफी राम बाण साबित हुई है। उन्होंने कहा कि वे भारत सरकार से बात करेंगे और जितना बन पाएगा बिहार के लिए आयुर्वेद चिकित्सा के विकास को लेकर हर संभव मदद करूंगा।

बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि आज सुबे की सरकार की सोच में केवल विकास ही विकास झलकता  है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2005 से ही स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में परिवर्तन व सुधार लाने का प्रयास किया जा रहा है जो आज तक निरंतर जारी है, और देखा गया है कि स्वस्थ्य चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में 4 साल के अंदर बिहार में एकतीस मेडिकल कॉलेज खोले जा चुके हैं जो बहुत ही बड़ी बात है। पांडेय ने कहा कि अब शिक्षा के बाद आयुर्वेद आयुष के क्षेत्र में सरकार ने पहल शुरू करते ही 838 करोड़ रुपए की धनराशि की स्वीकृति कैबिनेट में दी है जिसमें आयुर्वेद, योगा, यूनानी, होम्योपैथ आदि की चीजें विकास करना है। इतना ही नहीं आयुष के विकास के लिए राज्य में 108 हेल्थ सेंटर बनाने का निर्णय लिया गया है।

इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि देश में बिहार ऐसा राज्य है जहां उगते हुए एवं डूबते हुए सूर्य को लोग पूजते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के द्वारा आयुष के क्षेत्र में काफी कार्य किया जा रहा है कोरोना काल के समीक्षा के बाद पटना मेडिकल कॉलेज को व्यवस्थित करने के लिए राशि प्रदान की गई है। बिहार में आयुर्वेद चिकित्सा का कार्य समय से पहले पूरा हो जाएगा आज बिहार राज्य तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। इस अवसर पर पदम् भूषण से सम्मानित वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा ने सरकार को अवगत कराते हुए कहा कि बिहार के प्रत्येक क्षेत्र में दो-दो आयुर्वेद औषधियों को तैयार करने के लिए फार्मेसी सेंटर खोला जाए, साथ हीं बिहार में आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्थापना की जाए।

उन्होंने कहा कि बिहार से लोग वैद्य बनकर निकले तो अच्छी ज्ञान एवं तालीम हासिल हो और वैद्य कहने में अपने आप को गौरवान्वित महसूस करें। इस अवसर पर जयंत देव वैद्य, वैद्य जैन पुजारी, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल सिंह, सांसद कौशलेंद्र कुमार, स्थानीय विधायक कौशल किशोर, मनोज निसार, मीडिया प्रभारी डॉ सुशील झा सहित राज्य के कोने-कोने से आए आयुर्वेदिक चिकित्सक आदि लोग शामिल हुए।