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आरएसएस के सरकार्यवाह बने दत्तात्रेय होसबाले


नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर्वोच्च निर्वाचित पद सरकार्यवाह के लिए दत्तात्रेय होसबाले का चयन हुआ है। वह वर्तमान में सह सरकार्यवाह का दायित्व संभाल रहे थे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से उनके चयन की घोषणा की गई। इसमें कहा गया, “संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में सरकार्यवाह पद के लिए श्री दत्तात्रेय होसबाले जी निर्वाचित हुए। वे 2009 से सह सरकार्यवाह का दायित्व निर्वहन कर रहे थे।”

संघ के संविधान के अनुसार हर तीन वर्षों में सरकार्यवाह पद के लिए चुनाव होता है। दत्तात्रेय भैया जी जोशी का स्थान लेंगे जिन्होंने चार कार्यकाल तक इस पद को संभाला है।

जीवन परिचय

दत्तात्रेय होसबाले का जन्म 1 दिसम्बर, 1954 को कर्नाटक के कर्नाटक के शिमोगा जिले के सोरबा तालुका के एक छोटे से गाँव होसबाले से हैं। उन्होंने अंग्रेज़ी विषय से स्नातकोत्तर तक की शिक्षा ग्रहण की है। दत्तात्रेय 1968 में 13 वर्ष की अवस्था में संघ के स्वयंसेवक बनें और 1972 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े।

वर्ष 1975-77 के दौरान वह जेपी आन्दोलन में भी सक्रिय रहे और लगभग पौने दो वर्ष ‘मीसा’ के अंतर्गत जेल में रहे। जेल में उन्होंने दो हस्तलिखित पत्रिकाओं का संपादन भी किया। सन् 1978 में नागपुर में नगर सम्पर्क प्रमुख के रूप में विद्यार्थी परिषद में पूर्णकालिक कार्यकर्ता हुए। अगले 15 वर्षों तक ये परिषद के संगठन महामंत्री रहे।

विद्यार्थी परिषद में उन्होंने कई दायित्वों का निर्वहन किया और परिषद के राष्ट्रीय संगठन-मंत्री भी रहे। गुवाहाटी में युवा विकास केन्द्र के संचालन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। अंडमान निकोबार द्वीप समूह और पूर्वोत्तर भारत में विद्यार्थी परिषद के कार्य-विस्तार का संपूर्ण श्रेय भी उन्हें ही जाता है। दत्तात्रेय होसबाले ने नेपाल, रूस, इंग्लैंड, फ्रांस और अमेरिका की यात्राएं की हैं।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की व्यवस्था में महत्वपूर्ण मानी जाने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक शुक्रवार से कर्नाटक के बेंगलुरु में प्रारंभ हो गई है। हर साल मार्च माह के दूसरे या तीसरे सप्ताह में यह बैठक आयोजित होती है। वहीं हर 3 साल के बाद इस बैठक में संघ के सरकार्यवाह (महासचिव) का चुनाव होता है। इस चयन प्रक्रिया में देश के 44 प्रांतों से 1500 प्रतिनिधि शामिल होते हैं। यह प्रतिनिधि आम सहमति से सरकार्यवाह का चुनाव करते है।

संघ में सर्वोच्च सरसंघचालक को माना गया है। सरसंघचालक ही अपने अगले उत्तराधिकारी को मनोनीत करते हैं। उसके बाद सरकार्यवाह का पद होता है जिनका कार्य प्रशासन और संगठन की दृष्टि से कामकाज संभालना है। सरकार्यवाह का चुनाव होता है।