नई दिल्ली: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी द्वारा पसमांदा मुस्लिंमों को साधने की कवायद में तेजी देखी गई है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल के एक कार्यक्रम में पसमांदा मुस्लिमों का जिक्र करते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए मुस्लिम भाई बहनों को भड़का रहे हैं। प्रधानमंत्री के इस बयान पर बीएसपी चीफ मायावती ने उन्हें सलाह दी है कि यदि वह ऐसा मानते हैं तो बीजेपी को इनको मिलने वाले आरक्षण का विरोध भी बंद कर देना चाहिए।
मायावती ने शुक्रवार को माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर अपना बयान जारी करते हुए कहा कि पीएम मोदी द्वारा भोपाल में बीजेपी के कार्यक्रम में सार्वजनिक तौर पर यह कहना कि भारत में रहने वाले 80 प्रतिशत मुसलमान “पसमांदा, पिछड़े, शोषित” हैं, यह उस कड़वी जमीनी हकीकत को स्वीकार करना है जिससे उन मुस्लिमों के जीवन सुधार हेतु आरक्षण की जरूरत को समर्थन मिलता है।
उन्होंने कहा कि अब ऐसे हालात में बीजेपी को पिछड़े मुस्लिमों को आरक्षण मिलने का विरोध भी बंद कर देने के साथ ही इनकी सभी सरकारों को भी अपने यहां आरक्षण को ईमानदारी से लागू करते हुए बैकलॉग की भर्ती को पूरी करके यह साबित करना चाहिए कि वे इन मामलों में अन्य पार्टियों से अलग हैं।
क्या कहा था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
भोपाल में मेरा देश सबसे मजबूत कार्यक्रम में शामिल होते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि भारत के मुसलमान भाई बहनों को ये समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल उनको भड़का कर उनका राजनीतिक फायदा ले रहे हैं। हम देख रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर ऐसे लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बार बार कहा है कि ‘कॉमन सिविल कोड’ लाओ लेकिन ये वोटबैंक के भूखे लोग… वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने पसमंदों मुसलमानों का शोषण किया है लेकिन उनकी कभी चर्चा नहीं हुई। उन्हें आज भी बराबरी का हक़ नहीं मिलता।