सम्पादकीय

ईश्वरकी इच्छा


जग्गी वासुदेव

काम करनेका असली आनन्द वही जान सकता है, जिसे काम करनेकी कोई जरूरत न हो। जब आपको मजबूरीमें काम करना पड़ता है तो आप नहीं जान पाते कि काम करना क्या होता है। यदि मैं आंखें बंद कर लूं तो मैं मरनेतक इसी तरह बैठा रह सकता हूं। यदि मैं कितने भी दिन सिर्फ एक जगहपर बैठा रहूं तो मेरे मनमें एक भी विचार नहीं होगा। उस समय मैं बस जीवित रहूंगा। कोई विचार या भावनाएं कुछ नहीं सिर्फ जीवन। जब आपको काम करनेकी जरूरत नहीं होती, जब आप भीतरी विवशताके कारण काम नहीं करते तो आप अपने शरीरसे या अपने मनमें जो कुछ भी करते हैं, वह आपको परमानंदकी ओर ले जाता है। यदि आप कुछ नहीं करते, तब भी आप आनंदित होते हैं। मेरे जीवनका सबसे सुंदर समय वह होता है, जब मैं कुछ नहीं कर रहा होता हूं। सिर्फ शारीरिक तौरपर नहीं, बल्कि किसी भी तरहसे कुछ भी नहीं। परन्तु आप काम इसलिए करते हैं क्योंकि अपने आसपास देखते हुए आपको लगता है कि दुनियामें उस कामकी जरूरत है। जब आपके साथ कुछ सुंदर होता है तो आपके अन्दर उसे साझा करनेकी कुदरती इच्छा होती है। जब आप कोई अच्छा चुटकुला भी सुनते हैं तो क्या आप घर जाकर रजाईमें घुसकर खुदको वह सुनाते हैं या आप अपने दोस्तको ढूंढ़कर उसे वह चुटकुला सुनाना चाहते हैं। कहीं न कहीं आप क्या हैं और दूसरा क्या है, यह अलग-अलग नहीं होता, आप उसे अनदेखा नहीं कर सकते। क्या इसका मतलब है कि हमें किसी न किसी तरह कुछ करना है नहीं। जैसा कि मैंने कहा, यदि मैं आंखें बंद करूं तो मुझे उन्हें फिरसे खोलनेकी जरूरत नहीं है। मैं बस बैठकर अपना जीवन बिता सकता हूं। परन्तु लोग अलग-अलग रूपमें जीवन जी रहे हैं। मैं नहीं जानता कि आप इनसानी दुखोंके बारेमें कितना जानते हैं। मैं रोजाना सैंकड़ों लोगोंसे मिलता हूं और जिस पल वह मेरे सामने बैठते हैं, मैं उनके आर-पार देख पाता हूं, उनका एक-एक हिस्सा देख सकता हूं। चाहे वह अपने चेहरेपर कितनी भी खुशी ओढ़कर बैठें, मैं उनके आर-पार देख सकता हूं। यदि आप देखेंगे कि इनसानने कितने दुखोंका ईजाद किया है तो वाकई हैरानी होगी। उन्होंने दुखी होनेके कितने तरीके खोज लिये हैं। नरकके चौकीदार भी आपसे जीत नहीं सकते। आपको लगेगा कि आपके पास दुखी होनेके लिए बहुत-सी वजहें हैं, परन्तु ईमानदारीसे इसे देखें तो लगेगा कि वास्तवमें कोई वजह ही नहीं है। वर्तमान दौरमें इनसान बहुत ही व्यस्त और नीरस जीवन जीनेको मजबूर है, क्योंकि असली सुखका तो उसे पता ही नहीं।