चंडीगढ़। दीपावली यानी दीपों का उत्सव। दीपावली को लेकर इस बार मार्केट पूरी तरह से गुलजार है। कोविड संक्रमण के कारण पिछले दो वर्ष लोगों के उत्साह पर ग्रहण लगा रहा। दीपावली कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है। अमावस्या तिथि आज सायं 5.28 बजे शुरू होगी।
दीपावली पर माता लक्ष्मी व नारायण की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से चिर धन धान्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान लक्ष्मी जी प्रकट हुई थी। कार्तिक अमावस्या की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भम्रण करती हैं और भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।
सफाई का विशेष ध्यान
पैराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक अमावस्या की रात माता लक्ष्मी सीधे स्वर्ग से पृथ्वी पर आती हैं और उन घरों की ओर रुख करती हैं, जहां साफ सफाई हो, दीपमाला जल रही हो और वैदिक पूजा की जा रहे हो। वह ऐसे घरों में धन धान्य का कभी भी अभाव नहीं रखती हैं। यही कारण है कि अनादिकाल से लोग दीपावली पर सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं।
पूजा के लिए प्रदोष काल शुभ
कैलाश पंचांग के अनुसार लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद शुरू होकर 3 मुहूर्त तक रहता है। हालांकि कुछ शास्त्रों में लक्ष्मी जी की पूजा करने के लिए महानिशीथकाल भी बताया गया है, लेकिन महानिशीथकाल तांत्रिकों के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है। सामान्य सनातन धर्मावलंबियों के लिए लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में ही उपयुक्त माना गया है।
श्री लक्ष्मी पूजा का शुभ समय
- प्रदोष काल सायं 5.43 से 8.16 तक
- वृष स्थिर लग्न सायं 6.53 से 8.48 तक
- निशीथ काल रात्रि 11.39 से 13.30 तक
- सिंह लग्न अर्ध्दरात्रि 1.24 से 3.43
वृष लग्न में करें पूजा
माता लक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे श्रेष्ठ समय प्रदोष काल के दौरान जब स्थिर लग्न अर्थात वृष लग्न हो उसे माना गया है। ऐसी मान्यता है कि यदि स्थिर लग्न के दौरान पूजा की जाए तो धन स्थिर रहता है। यानी उस घर में लक्ष्मी जी निवास करती हैं।
व्यापारियों के लिए शुभ मुहूर्त
अनेक व्यापारी दीपावली पूजा के दौरान बहीखाता का शुभारंभ करते हैं और अगले वित्तीय वर्ष के लिए उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं। कैलाश पंचांग के अनुसार दुकान आफिस व्यवसायिक प्रतिष्ठान आदि पर व्यापारी वर्ग के लिए पूजन का मुहूर्त प्रातः 9.18 से 10.43 तक शुभ है। इसके अलावा दोपहर 1.31 से 5:43 तक लाभ एवं अमृत की चौघड़िया भी पूजन के लिए शुभ हैं।
इन बातों का ध्यान
- गणेश लक्ष्मी जी की मूर्ति खरीदते समय यह अवश्य देखें कि गणेश जी की सूंड उनकी दाईं भुजा की ओर मुड़ी हो।
- खंडित मूर्तियां न खरीदें।
- लक्ष्मी जी को सदैव गणेश जी के दाहिने ओर ही विराजमान करें।
- दीपावली पूजन सदैव पश्चिम की ओर बैठकर करना ही श्रेष्ठ है।
- दीपावली पर किए जाने वाले हवन में पलाश की लकड़ी का उपयोग सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसके अलावा कमल पुष्प तथा कमल गट्टा भी हवन के लिए श्रेयस्कर है।
- लक्ष्मी-गणेश जी को लाल रंग के आसन पर बैठाएं।
- पूजा के लिए ओम् श्री श्रीयै नम:, ओम् श्री ह्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, श्री ह्रीं श्रीं, ओम महालक्ष्मै नम: इन मंत्रों का प्रयोग कर सकते हैं।