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उद्धव ठाकरे की बैठक में क्यों नहीं पहुंचे सात सांसद, कहीं राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का सवाल तो नहीं


मुंबई। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे द्वारा बुलाई गई बैठक में सात सांसद क्यों गैरहाजिर रहे, इसकी वजह शाम होते ही सामने आ गई। बैठक राष्ट्रपति चुनाव में किस उम्मीदवार को समर्थन दिया जाए, इस मुद्दे को लेकर थी। ज्यादातर सांसद राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के पक्ष में हैं। बैठक में शामिल हुए सांसदों में भी ज्यादातर ने उद्धव ठाकरे से राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करने की अपील की। राजग उम्मीदवार को समर्थन करके ये सांसद भाजपा से बिगड़े संबंधों को भी सुधारने की दिशा में एक संकेत भी देना चाहते हैं।

बैठक में सात लोकसभा सदस्यों की अनुपस्थिति और उपस्थित सांसदों द्वारा द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की अपील ने स्थिति साफ कर दी है कि यदि उद्धव ने अपने सांसदों की बात नहीं मानी तो शिवसेना संसदीय दल में भी बंटवारा तय है। बताया जाता है कि अनुपस्थित रहे सात में से तीन सांसदों ने उद्धव को फोन कर कहा था कि राष्ट्रपति चुनाव में वे पार्टी के फैसले का सम्मान करेंगे। जबकि बैठक में शामिल रहे सांसद राजेंद्र गावित एवं राहुल शेवाले उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करने की अपील कर चुके हैं। राजेंद्र गावित खुद भी आदिवासी समाज से आते हैं। पार्टी सांसदों की बात सुनने के बाद अब फैसला उद्धव ठाकरे को करना है।

बताया जाता है कि ज्यादातर लोकसभा सदस्यों द्वारा राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करने का दबाव बनाने जाने पर पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय राउत नाराज होकर बैठक से बाहर चले गए। हालांकि बाद में राउत ने प्रेस से बात करते हुए कहा कि पार्टी जो भी फैसला करेगी, वह उसका सम्मान करेंगे।

बता दें कि उद्धव ठाकरे द्वारा बुलाई गई बैठक में हाल ही में लोकसभा में मुख्य सचेतक पद से हटाई गईं सांसद भावना गवली, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पुत्र श्रीकांत शिंदे, संजय महाडिक, संजय जाधव, हेमंत पाटिल, कृपाल तुमाने और दादरा नगर हवेली की सांसद कलाबेन डेलकर समेत 13 लोकसभा एवं दो राज्यसभा के सांसद उपस्थित थे।

महाराष्ट्र की सत्ता उद्धव ठाकरे के हाथ से जाने के बाद से ही अफवाहों का बाजार गर्म है कि अब शिवसेना के ज्यादातर सांसद भी उद्धव का साथ छोड़ शिंदे गुट में जा सकते हैं। पिछले कुछ दिनों से कुछ सांसद उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर किसी न किसी बहाने महाविकास आघाड़ी से अलग होने और भाजपा के साथ आने की मांग भी कर रहे हैं।