बिहटा स्थित ईएसआईसी अस्पताल में भारतीय सेना के पांच डाक्टर व १५ नर्सिंग स्टॉफ पहुंचे
पटना (विधिसं)। पटना हाईकोर्ट ने सोमवार को सूबे में कोरोना मामले पर सुनवाई करते हुए केन्द्र व राज्य सरकार को कई बिन्दुओं पर निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह व न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने शिवानी कौशिक व अन्य जनहित याचिकाओं को वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिया है कि कोरोना के दूसरे फेज में ऑक्सीजन, इमरजेंसी दवा व बेड की कमी से किसी कोरोना मरीज की मौत होना मानव अधिकार का उल्लंघन है।
इसलिए, बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के सचिव को कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मंगलवार २० अप्रैल को पटना एम्सके निदेशक के साथ मिलकर एनएमसीएच का निरीक्षण कर वहां के हालात की रिपोर्ट अगली सुनवाई में दों। एनएमसीएच के अलावा सूबे में जितने भी डेडिकेटेड कोविड अस्पताल हैं, उनका भी औचक निरीक्षण किया जाय। इस संदर्भ में हाईकोर्ट के महानिबंधक को निर्देश दिया गया है कि वे मानवाधिकार आयोग को हाईकोर्ट आदेश से फौरन अवगत करा दें।
बिहटा स्थित ईएसआईसी अस्पताल में भारतीय सेना के पांच डाक्टर व १५ नर्सिंग स्टॉफ पहुंच चुके हैं। इसलिए, उसे अगली सुनवाई होने तक चालू करने का केन्द्र सरकार को निर्देश दिया। राजेन्द्र नगर स्थित नेत्र अस्पताल व कंकड़बाग में मेदांता अस्पताल को कोविड सेंटर्स में जितना जल्दी हो उसे शुरू किया जाय। पटना सहित राज्य के तमाम डेडिकेटेड कोविड सेंटर में ऑक्सीजन की कमी पूरी हुई कि नहीं, इसका ब्यौरा राज्य सरकार से मांग गया है। पटना हाईकोर्ट के एक अधिकारी की कोविड से मौत अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई की कमी के कारण हुई या किस परिस्थिति में हुई इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट के महानिबंधक से तलब किया गया है।
मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट राजीव कुमार सिंह ने आरोप लगाया कि पिछले कई सालों से सूबे में कार्यवाहक ड्रग कंट्रोलर पदस्थापित हैं। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि राज्य को रेगुलर ड्रग कंट्रोलर क्यों नहीं है? एडवोकेट राजीव कुमार सिंह ने हाईकोर्ट को केन्द सरकार द्वारा १७ मार्च, २० को जारी किये गये कोविड-१९ मैनेजमेंट प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी दिया। कोर्ट ने हैरानी जताते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया कि कोरोना के दूसरे लहर से बचाव के लिए उक्त प्रोटोकॉल का पालन कहां किया गया है? हाईकोर्ट के इस आदेश के अनुपालन में तमाम रिपोर्ट व जवाब अगली सुनवाई को यानी २१ अप्रैल को पेाश् होगी।
रेमडिसिवर दवा कोविड इलाज के लिए है ही नहीं। पटना एम्स के निदेशक के इस बयान पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है। एम्स निदेशक से बातचीत कर कोर्ट को बताएं कि कितनी कारगर है यह रेमडिसिवर। सोमवार को सुनवाई के दौरान पटना एम्स निदेशक के इस बयान पर हाईकोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक प्रमुख को सोमवार की सुनवाई में रेमडिसिवर दवा के सप्लाई की कमी पर लंबी बहस हुई।
सुनवाई के दौरान पटना एम्स के निदेशक भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जुटे। उन्होंने कोर्ट को बताया कि रेमडिसिवर दवा कोविड-१९ के मरीजों के इलाज के लिए नहीं है और न ही केन्द्र सरकार कोविड-१९ मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में इस दवा को प्रिसक्राइब किया गया है। इस जानकारी के बिना लोगों में बेवजह रेमडिसिवर की कमी का डर फैला हुआ है।
न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एम्स निदेशक के इस कथन को अपने आदेश में रिकार्ड करते हुए स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक प्रमुख को निर्देश दिया है कि वे इस बारे में पटना एम्स के निदेशक से बातचीत कर अगली सुनवाई को कोर्ट में पेाश् करें कि कोविड-१९ की इलाज में रेमडिसिवर दवा कितनी कारगर और जरूरी है? कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि किस आधार पर तकरीबन साढ़े छह करोड़ रुपये का ऑर्डर रेमडिसिवर के लिए दिया। इस मामले पर अगली सुनवाई बुधवार को होगी।