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एनएमसी की नई गाइडलाइन के बाद गैर मेड‍िकल शिक्षकों की नौकरी पर संकट


  •  नई दिल्‍ली, । राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की नई गाइडलाइन के बाद लगभग 3,000 गैर-चिकित्सा शिक्षक ‘अपनी नौकरी खोने के कगार’ पर हैं, जिसने देश भर के मेडिकल कालेजों में गैर चिकित्सा एमएससी शिक्षकों के पद को काफी कम कर दिया है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के नए नियम से मेडिकल कालेजों में चिकित्सा विज्ञान से पढ़ाई कर एमएससी या पीएचडी की डिग्री हासिल कर वैज्ञानिक शिक्षक के तौर पर अध्यापन करने वालों पर गाज गिरने वाली है। दरअसल, ऐसे वैज्ञानिक शिक्षकों के फीसदी को मेडिकल कालेजों में कम करने का फैसला ल‍िया गया है। मेडिकल कालेज संकायों में इनकी संख्या 30 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी तक करने की गाइडलाइन राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के जरिए ली गई है।

ज्ञात हो क‍ि वर्तमान में देशभर में मेडिकल कॉलेजों में चार हजार से अधिक ‘गैर मेड‍िकल’ शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें से कई नए आरएमसी गाइडलाइन से प्रभावित होंगे। इस बीच राष्ट्रीय एमएससी मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन (एनएमएमटीए) ने इन नियमों को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की है, जो 17 फरवरी, 2021 को अगली सुनवाई करेगी।

दरअसल, मेडिकल एमएसससी का पुराना कोर्स पूरा करने के बाद जो वैज्ञानिक मेडिकल कालेज में पढ़ाना चाहते हैं, उनके लिए भी अवसर हैं लेकिन अब इन पर नई गाइडलाइन नकेल कस रही है। जबकि मेडिकल एमएससी या पीएचडी करने के बाद नेट की परीक्षा में भी ऐसा कोई विषय नहीं मिलता है। एनएमएमटीए ने इस मामले को शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालय के सामने भी उठाया है। दरअसल एनएमएमटीए की ओर से सुधार की मांग उठाते हुए कहा था कि हाल में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने मेडिकल कालेज में गैर चिकित्सा क्षेत्र के वैज्ञानिक शिक्षकों की फीसदी को कम कर दिया है।