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एमएसपी नीति का कृषि कानूनों से कोई लेना देना नहीं : कृषि मंत्री तोमर


  • केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नीति का केंद्रीय कृषि कानूनों से कोई लेना-देना नहीं है और किसान अपनी उपज अपने फायदे के अनुसार कहीं भी बेचने को स्वतंत्र हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा को एक सवाल के लिखित जवाब में यह बताया।

दरअसल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य इलामारम करीम ने सरकार से जानना चाहा था कि केंद्रीय कृषि कानूनों के लागू हो जाने के बाद इसकी खरीदी में उद्योग जगत के एकाधिकार होने की सूरत में किसानों के लिए एमएसपी कैसे सुनिश्चित होगा।

इसके जवाब में तोमर ने कहा, ”एमएसपी नीति का कृषि अधिनियम से कोई लेना-देना नहीं है। किसान अपनी उपज सरकारी खरीद एजेंसियों को एमएसपी या कृषि उत्पाद मंडी समिति (एपीएमसी) मंडियों में या संविदा खेती के माध्यम से या खुली मंडी में, उनके लिए जो भी फायदेमंद हो, बेचने के लिए स्वतंत्र हैं।”

उन्होंने कहा कि भारत सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक वर्ष दोनों फसल मौसमों में उचित आवश्यक गुणवत्ता (एफएक्यू) की 22 प्रमुख कृषि वस्तुओं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है।

उन्होंने कहा, ”सरकार अपनी विभिन्न हस्तक्षेप योजनाओं के माध्यम से किसानों को लाभकारी मूल्य भी प्रदान करती है। एमएसपी पर खरीद, केंद्र और राज्य एजेंसियों द्वारा सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत की जा रही है। इसके अलावा समग्र बाजार भी एमएसपी और सरकार के खरीद कार्यों की घोषणा को लेकर प्रतिक्रिया देता है, जिसके परिणाम स्वरूप विभिन्न अधिसूचित फसलों के बिक्री मूल्य में वृद्धि होती है।”