जम्मूः कश्मीर में नए पर्यटन सीजन की शुरुआत के साथ ही गुरुवार को एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन जनता के लिए खुल गया।
दो साल के अरसे के बाद ट्यूलिप गार्डन को आज आम जनता के लिए उस समय खोल दिया गया, जब कोरोना के दूसरे चरण की वापसी हुई है। आज आयोजित समारोह की अध्यक्षता उप राज्यपाल के सलाहकार बशीर अहमद खान ने की थी और उन्होंने फीता काट कर इसको खोलने की घोषणा की।
इस अवसर पर ट्यूलिप गार्डन के प्रभारी इनाम रहमान सोफी ने बताया कि बृहस्पतिवार को गार्डन को जनता के लिए खोल दिया गया है। सोफी ने कहा कि विभाग ने इस वर्ष विभिन्न किस्मों के लगभग 15 लाख फूल लगाए हैं। उन्होंने कहा, उद्यान में अब तक लगभग 25 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। अधिकारी ने कहा कि उद्यान में इस वर्ष ट्यूलिप की 62 किस्में हैं।
ट्यूलिप के फूल औसतन तीन-चार सप्ताह तक रहते हैं, लेकिन भारी बारिश या बहुत अधिक गर्मी इन्हें नष्ट कर सकती है। पुष्प कृषि विभाग चरणबद्ध तरीके से ट्यूलिप के पौधे लगाता है ताकि फूल एक महीने या उससे अधिक समय तक बगीचे में रहे। पर्यटन विभाग ने घाटी में नए पर्यटन सीजन की शुरुआत के तहत अगले महीने के पहले सप्ताह में बाग में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम की योजना बनाई है।
ट्यूलिप गार्डन स्थापित करने का उद्देश्य पर्यटकों को एक और विकल्प देना और पर्यटन सीजन को आगे बढ़ाना था, जो हर साल मई में शुरू होता था। हर साल हजारों पर्यटक यहां आते हैं। हालांकि, बाग को दो साल के अंतराल के बाद खोला गया क्योंकि यह पिछले साल कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन के कारण आगंतुकों के लिए बंद रहा था।
डल झील का इतिहास तो सदियों पुराना है। पर ट्यूलिप गार्डन का मात्र 12 साल पुराना। मात्र 12 साल में ही यह उद्यान अपनी पहचान को कश्मीर के साथ यूं जोड़ लेगा कोई सोच भी नहीं सकता था। डल झील के सामने के इलाके में सिराजबाग में बने ट्यूलिप गार्डन में ट्यूलिप की 55 से अधिक किस्में आने-जाने वालों को अपनी ओर आकर्षित किए बिना नहीं रहती हैं।
यह आकर्षण ही तो है कि लोग बाग की सैर को रखी गई फीस देने में भी आनाकानी नहीं करते। जयपुर से आई सुनिता कहती थीं कि किसी बाग को देखने का यह चार्ज ज्यादा है पर भीतर एक बार घूमने के बाद लगता है यह तो कुछ भी नहीं है।