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कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में इस बार हो सकती है कुश्ती, शशि थरूर और पृथ्वीराज चव्हाण के भी मैदान में उतरने की अटकलें


नई दिल्ली। करीब 22 वर्षों के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव के रोचक होने की उम्मीद है। इस पद के लिए एक से अधिक प्रत्याशियों के मैदान में उतरने की संभावनाएं जताई जा रही है। पार्टी की ओर से जहां राहुल गांधी को मनाने की कोशिश हो रही है और उनके न मानने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत, कमलनाथ जैसे चेहरों को सामने लाने की चर्चा है।

वहीं, पार्टी नेतृत्व से कुछ मुद्दों पर अलग राह चलने वाले शशि थरूर ने इशारों-इशारों में जो संकेत दिया है उसका अर्थ यह निकाला जा रहा है वह मैदान में उतर सकते हैं। उन्होंने कहा है कि अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को मैदान में उतरना चाहिए।

इससे पहले भी दो बार हुए हैं प्रत्याशियों के बीच चुनाव

पिछले तीन दशक में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए वर्ष 1997 और 2000 में ही वोटिंग हुई थी। 1997 में सीताराम केसरी, शरद पवार, राजेश पायलट मैदान में थे। केसरी ने बाजी मारी थी। वर्ष 2000 में सोनिया गांधी को जीतेंद्र प्रसाद ने चुनौती दी थी और हार गए थे।

माना तो यही जा रहा है कि राहुल खुद या फिर गांधी परिवार से कोई दूसरा मैदान में उतरा तो प्रतिस्पर्धा को लेकर संशय हो सकता है। लेकिन किसी दूसरे को उतारा गया तो कुछ और लोग भी ताल ठोकेंगे।

अटकलों में पृथ्वीराज चव्हाण का नाम भी शामिल

शशि थरूर कांग्रेस पार्टी के उस गुट के भी सदस्य है, जो पार्टी के काम-काज के खिलाफ लगातार अपनी नाखुशी जता रहा है। इस गुट के एक सदस्य गुलाम नबी आजाद भी थे। जिन्होंने पिछले दिनों ही कांग्रेस पार्टी को छोड़ने का ऐलान किया है। साथ ही अपनी अलग पार्टी बनाने का ऐलान किया है। अटकलों में पृथ्वीराज चव्हाण का नाम भी शामिल है।

गुलाम नबी आजाद से कई प्रथ्वीराज चव्हाण समेत कई नेताओं ने की मुलाकात

कांग्रेस की अंदरूनी खामियों और गुटबाजी पर सीधा हमला कर रहे पार्टी के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद से मंगलवार को भूपेंद्र सिंह हुड्डा, आनंद शर्मा और पृथ्वीराज चव्हाण ने लंबी चर्चा की। बताया जा रहा है कि आजाद ने इन तीनों नेताओं को विस्तार से बताया कि पार्टी की ओर से जहां यह दिखाया जा रहा था कि जम्मू-कश्मीर में उन्हें अहमियत दी गई वहीं सही मायने में अपमानित किया जा रहा था। किसी भी विमर्श में उन्हें शामिल नहीं किया जा रहा था और ऐसे लोगों को प्रमुखता दी जा रही थी जो पार्टी से अंदरूनी तौर पर नहीं जुड़े रहे हैं। बताया जाता है कि दूसरे नेताओं ने भी कांग्रेस के भविष्य को लेकर चिंता जताई और अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव पर भी चर्चा हुई।