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कांग्रेस ने सदन में हिंसा की जांच के लिए राज्यसभा की जांच समिति में शामिल होने से किया इनकार


  • नई दिल्ली, । कांग्रेस ने 11 अगस्त को मानसून सत्र के दौरान सदन में हुई हिंसक घटनाओं की जांच के लिए गठित की जा रही सांसदों की प्रस्तावित जांच समिति में शामिल होने से इनकार कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को लिखे पत्र में कहा, ’11 अगस्त, 2021 की घटनाओं पर एक जांच समिति का गठन, सांसदों को चुप कराने के लिए डराने के लिए बनाया गया लगता है। यह केवल जनप्रतिनिधियों की आवाज को दबाने का ही नहीं, बल्कि जानबूझकर उन सभी को दरकिनार करेंगे जो सरकार के लिए असहज हैं।’

उन्होंने कहा, ‘इसलिए, मैं स्पष्ट रूप से जांच समिति के गठन के खिलाफ हूं और इस समिति में नामांकन के लिए किसी पार्टी के किसी सदस्य का नाम प्रस्तावित करने का सवाल ही नहीं उठता।’ कांग्रेस नेता ने कहा कि विपक्ष चर्चा में भाग लेने का इच्छुक है और दावा किया कि यह सरकार ही थी जिसने सत्र के सुचारू संचालन में बाधा उत्पन्न की।

खड़गे ने पत्र में यह भी कहा कि सरकार ने न केवल विपक्षी दलों की चर्चा की मांग को खारिज कर दिया, बल्कि उन महत्वपूर्ण विधेयकों और नीतियों को भी आगे बढ़ाया, जो संभावित रूप से देश पर गंभीर और प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।

विपक्ष के नेता ने बताया कि उनकी पार्टी ने भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति, किसानों के विरोध, मुद्रास्फीति, पेट्रोल और डीजल और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, बेरोजगारी, चीन द्वारा भारत की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन, पेगासस और राफेल घोटालों सहित कई अन्य राष्ट्रीय मुद्दों पर रचनात्मक विचार-विमर्श करने की उम्मीद में, प्रक्रिया के नियमों के तहत कई नोटिस दिए।

पत्र में कहा गया कि पार्टी द्वारा स्थायी समितियों को भी दरकिनार कर दिया और विधेयकों, नीतियों और मुद्दों पर कोई सार्थक चर्चा करने से इनकार कर दिया। इसके अतिरिक्त, वरिष्ठ मंत्री संसद से अनुपस्थित थे, जबकि विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। ऐसा करने में, सरकार ने संसद की संप्रभुता को कम कर दिया।