Latest News धर्म/आध्यात्म नयी दिल्ली राष्ट्रीय वाराणसी

काशी में क्यों धूमधाम से मनाई जाती है देव दीपावली? जानिए पौराणिक कथा


नई दिल्ली, : दिवाली के 15 दिनों के बाद देव दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन विशेषकर काशी में काफी जोर शोर से इस पर्व को मनाया जाता है। काशी के हर घाट, हर गली को दीपों से सजाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला देव दीपावली का ये पर्व इस बार 7 तारीख को मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन सभी देवी-देवता धरती में आते हैं और गंगा स्नान करके इस पर्व को मनाते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर देव दीपावली का पर्व काशी में इतने धूमधाम से क्यों मनाया जाता है।

काशी में क्यों मनाते हैं देव दीपावली?

कार्तिक पूर्णिमा को पड़ने वाली देव दीपावली को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रिपुरारी पूर्णिमा नाम के पीछे एक पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार त्रिपुरासुर नाम का एक राक्षस था जिसके अत्याचारों से हर कोई परेशान हो गया था। ऐसे में हर कोई चाहता था कि उसके आतंक से मुक्त मिल जाए। ऐसे में भगवान शिव की आराधना की गई और फिर उन्होंने त्रिपुरासुर का वध किया और हर किसी को उसके आतंक से मुक्ति मिल गई। इसी कारण भगवान शिव को त्रिपुरारी नाम से भी जानते हैं। भगवान शिव ने जब इस राक्षस का संहार किया तो उस दिन कार्तिक पूर्णिमा का दिन था। राक्षस के वध के बाद सभी देवी देवता प्रसन्न होकर काशी आए थे और दीप जलाकर खुशियां मनाई थी। इसी कारण हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन काशी में दीपोत्सव मनाया जाता है।