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कृषि कानूनकी वापसी,एमएसपी पर ४ जनवरीको होगी वार्ता


सरकारने किसानोंकी दो मांगे मानी
लागू नहीं होगा प्रदूषण अध्यादेश-विद्युत विधेयक

नयी दिल्ली (आससे)। केंद्र सरकार और 35 दिनों से आंदोलनरत 40 किसान संगठनों के नेताओं के बीच आज सातवें दौर की बैठक सम्पन्न हुई। सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई इस बैठक में सरकार ने एक बार फिर किसान संगठनों की मांग के आगे झुकते हुए प्रदूषण अध्यादेश और प्रस्तावित बिजली विधेयक को लागू नहीं करने की मांग को स्वीकार कर लिया है। साथ ही सरकार ने किसान नेताओं के सामने एक बार फिर से कृषि कानूनों पर विचार करने के लिये एक कमेटी के गठन का प्रस्ताव दिया है। तय हुआ है कि अगली बैठक 4 जनवरी को होगी। तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर किसान अभी भी अड़े हुए हैं, जबकि सरकार इसके लिये तैयार नहीं है। बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार और किसानों में चार में से दो मुद्दों पर सहमति बनी है। उन्होंने कहा कि पराली-बिजली विधेयक और प्र्यावरण संबंधी अध्यादेश पर सहमति बनी है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था जारी रहेगी। आज विज्ञान भवन में लगभग पांच घंटे चली बैठक में तकरीबन 40 किसान संगठनों के नेताओं ने हिस्सा लिया। सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने सरकार की तरफ से बातचीत की। आज किसानों और सरकार का रुख बेहद सौहार्दपूर्ण रहा। दोपहर के भोजन के दौरान केंद्रीय मंत्रियों ने किसान नेताओं के साथ लंगर से मंगाया गया भोजन किया। इस दौरान उन्होंने किसान नेताओं के साथ अनौपचारिक चर्चा भी की। मिली जानकारी के मुताबिक सरकार की तरफ से किसानों को भरोसा दिया गया कि प्रस्तावित विद्युत विधेयक औश्र राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के वातावरण को साफ रखने लिये अध्यादेश में किसानों को बाहर रखा जायेगा। उल्लेखनीय है िकइस अध्यादेश में पराली जलाने वाले किसानों पर 1 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान था। सरकार ने कृषि कानूनों पर विचार करने के आज एक बार फिर से कमेटी के गठन का प्रस्ताव दिया। सरकार का कहना है कि इन कानूनों के जिन प्रावधानों पर आपत्ति है, उस पर विचार किया जा सकता है। लेकिन किसानों ने इसे खारिज कर दिया। किसान नेताओं ने कहा कि हमें संशोधन और कमेटी पर बात नहीं करनी है। हम कानून रद्द करवाकर ही वापस जायेंगे। सरकार ने किसान नेताओं के समक्ष अपने पुराने रुख को दोहराते हुए कहा कि कृषि कानूनों की वापसी नहीं होगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार ने लिखित गारंटी देने के प्रस्ताव को भी दोहराया। बैठक के दौरान आंदोलन के दौरान मारे गये किसानों के परिजनों को मुआवजा और न्याय देने की मांग भी किसान नेताओं ने उठायी।