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केंद्रीय हज कमेटी के एक पूर्व सदस्य ने हज अधिनियम के ‘खुले उल्लंघन’ की प्रधानमंत्री से की शिकायत


  • केंद्रीय हज कमेटी के एक पूर्व सदस्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर हज अधिनियम के खुले उल्लंघन की शिकायत की साथ ही हज विभाग को दोबारा विदेश मंत्रालय से संबद्ध करने की मांग की है। केंद्रीय हज कमेटी के पूर्व सदस्य हाफिज नौशाद आजमी ने प्रधानमंत्री को बुधवार को लिखे पत्र में कहा है कि केंद्रीय हज कमेटी का कार्यकाल 20 जून 2020 के बाद समाप्त होने के बाद नई कमेटी अब तक नहीं बनाई गई है, यह हज अधिनियम-2002 का खुला उल्लंघन है क्योंकि कानून में साफ लिखा है कि कमेटी के कार्यकाल की समाप्ति से चार माह पहले ही दूसरी कमेटी गठित कर ली जाए। उन्होंने पत्र में यह भी आरोप लगाया कि जून 2014 में जो केंद्रीय हज कमेटी बनाई गई उसके सदस्यों के चयन में भी हज अधिनियम का खुला उल्लंघन हुआ। अधिनियम के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा नामित सात सदस्यों में से तीन सदस्य मुस्लिम धर्म विद्या विशेषज्ञ होने चाहिए, जिनमें दो सुन्नी और एक शिया होंगे। मगर 20 जून 2016 को जो कमेटी गठित की गई उसमें शिया की जगह बोहरा समुदाय के सदस्य तथा सुन्नी उलमा की जगह दो आम लोगों को जगह दे दी गई थी। उन्होंने कहा कि उस समिति ने अल्पसंख्यक मंत्रालय और हज मंत्री के कई मनचाहे प्रस्ताव पारित किए थे। आजमी ने पत्र में कहा कि हज विभाग को वर्ष 2016 में विदेश मंत्रालय से हटाकर अल्पसंख्यक मंत्रालय से संबद्ध कर दिया गया तभी से हज यात्रियों की समस्याएं बढ़ी हैं, लिहाजा पुरानी स्थिति को बहाल किया जाए। उन्होंने यह भी शिकायत की कि अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों का भी उल्लंघन किया गया है। आजमी के अनुसार वर्ष 2012 में न्यायालय ने केंद्र सरकार से हज सब्सिडी को धीरे-धीरे 10 वर्षों में यानी 2022 तक समाप्त करने को कहा था लेकिन अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने 2017 में ही ऐलान करके इसे खत्म कर दिया, नतीजतन हज यात्रा बहुत महंगी हो गई है। आजमी ने प्रधानमंत्री से गुजारिश की है कि वह इस पूरे मामले में हस्तक्षेप करें और केंद्रीय हज कमेटी तथा राज्य हज समितियों के गठन के साथ-साथ अन्य मसलों का भी समुचित हल निकालें।