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केंद्र की तुलना में बंगाल के सरकारी कर्मियों का डीए का अंतर बढ़कर 35 प्रतिशत हुआ


कोलकाता। सरकारी कर्मचारियों के बकाया महंगाई भत्ता (डीए) के मामले में अदालत से लगातार झटका खा रही बंगाल की ममता बनर्जी सरकारी की मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही है। एक दिन पहले केंद्र सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए चार प्रतिशत डीए की घोषणा के बाद बंगाल सरकार पर और दबाव बढ़ गया है। वहीं, केंद्र की घोषणा के बाद उसके मुकाबले बंगाल का डीए गैप (अंतर) बढ़कर 35 प्रतिशत हो गया है। पहले यह आंकड़ा 31 प्रतिशत था।

राज्य सरकार की सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी

गौरतलब है कि बकाया डीए को लेकर हाल में कलकत्ता हाई कोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर दिया था। राज्य सरकार ने खंडपीठ के उस आदेश की समीक्षा की मांग की थी, जिसमें मई में राज्य को तीन माह के भीतर अपने कर्मियों का सभी बकाया डीए का भुगतान करने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है।

विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने दी आंदोलन की चेतावनी

इस बीच केंद्र द्वारा नए डीए की घोषणा के बाद राज्य के विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने अब सड़कों पर उतरकर आंदोलन की चेतावनी दी है, जिससे ममता सरकार की परेशानी और बढ़ने वाली है। श्रमिक संगठनों का आरोप है कि सबसे कम वेतन पाने वाले ग्रुप डी कर्मचारी जो कई वर्षों से सेवा में हैं, उन्हें एक जुलाई 2022 से प्रति माह डीए मद में 7,000 रुपये का नुकसान हो रहा है।

वहीं, ग्रुप सी कर्मचारियों को हर महीने 10,000 रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा है। डीए मामले में राज्य सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे कन्फेडरेशन आफ स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लाइज के महासचिव मलय मुखोपाध्याय ने कहा कि अदालत द्वारा डीए को निपटाने के बार-बार आदेश के बावजूद राज्य सरकार आनाकानी कर रही है। हम इस सरकार से कर्मचारियों का हक यानी डीए वसूल कर रहेंगे। उन्होंने कहा कि कानूनी लड़ाई के साथ- साथ हम सड़कों पर भी उतरकर विरोध करेंगे।