- नई दिल्ली /टीम डिजिटल। पश्चिम बंगाल में लगातार तीसरी बार ममता बनर्जी की सरकार बनवाने में अहम योगदान देने वाले तमाम लोगों में से एक चेहरा यशवंत सिन्हा का भी रहा। चुनाव से ठीक पहले उन्होंने तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन की और अब पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का दायित्व निभा रहे हैं। चुनाव बाद पश्चिम बंगाल में शुरू हुई हिंसा की घटनाओं, ममता बनर्जी की भविष्य की राजनीति और बंगाल में विकास की नई दिशा की रणनीति पर नवोदय टाइम्स/पंजाब केसरी के अकु श्रीवास्तव के साथ यशवंत सिन्हा ने विशेष बातचीत की। वे देश के वित्तमंत्री और विदेश मंत्री और भाजपा के बड़े नायक के रूप में रहे हैं। प्रस्तुत है बातचीत का प्रमुख अंश:-
ममता बनर्जी की इस जीत को किस तरह से देख रहे हैं?
पहली बात, पश्चिम बंगाल चुनाव के कुछ महीने पहले मैंने टीएमसी में शामिल होने का फैसला लिया और ममता जी से बात की। इसके बाद शामिल हुआ। इसके पीछे यह संदेश देने की मंशा थी कि पश्चिम बंगाल में लोग टीएमसी छोड़ ही नहीं रहे हैं, जुड़ भी रहे हैं। जैसा कि भाजपा वहां माहौल बना रही थी। वह यह हथकंडा दूसरे राज्यों में भी अपनाती रही है और चुनाव से ठीक पहले दूसरे दलों में तोडफ़ोड़ करती रही है। उसी प्रवाह को रोकने के लिए मैंने तय किया कि टीएमसी में रह कर योगदान करूं।
दूसरी बात, टीएमसी और ममता जी की जीत बहुत शानदार है। किसी ने भी इतनी बड़ी जीत की कल्पना नहीं की थी। किसी एक्जिट पोल ने भी नहीं बताया था। मेरा भी अनुमान था कि टीएमसी को 160 से 180 सीटों के बीच मिलेंगी। पिछले तीन महीने से बंगाल में आदर्श आचार संहिता लागू है, तो एक तरह से शासन, लॉ एंड ऑर्डर सब चुनाव आयोग के पास था। नतीजा आया लेकिन शपथ ग्रहण नहीं हुआ। एक तरह से यह संध्या काल की बेला थी। इसी दौरान हिंसा हुई। हिंसा नहीं होनी चाहिए। हम इसकी भत्र्सना करते हैं। शोर बहुत मचा कि टीएमसी के गुंडे भाजपा कार्यकर्ताओं को मार रहे हैं। जबकि जो वीडियो सामने आए, वे पहले के हैं और मौतें भी बढ़ा चढ़ा कर बताई गईं। सौगत राय को मैंने सुना कि चार भाजपा और तीन टीएमसी के लोग मारे गए।