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केरल हाई कोर्ट में आज होगी LDF विधायकों की याचिका पर सुनवाई, KIIFB मामले में ED की जांच को दी चुनौती


कोच्चि, केरल हाईकोर्ट में गुरुवार को KIIFB संस्था के वित्तीय लेनदेन में कथित उल्लंघन की प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के खिलाफ एलडीएफ के पांच विधायकों द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई होगी। याचिका को मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी चाली की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। विधायकों ने अपनी याचिका में दावा किया है कि ईडी की कार्रवाई राज्य में लगभग 73,000 करोड़ रुपये की 900 से अधिक विकास परियोजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।

इन विधायकों ने दायर की याचिका

सीपीआई (एम) विधायक के के शैलजा, आईबी सतीश और अभिनेता एम मुकेश, सीपीआई विधायक ई चंद्रशेखरन और कांग्रेस (सेक्युलर) विधायक कडनप्पल्ली रामचंद्रन ने ईडी की जांच के खिलाफ उच्च न्यायालय में एक संयुक्त याचिका दायर की है। मामले में विधायकों का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता वी एम कृष्णकुमार ने बुधवार को मामला दर्ज करने की पुष्टि की और कहा कि इसे दिन के दौरान सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।

विधायकों ने ED की जांच पर उठाए सवाल

याचिका में विधायकों ने आरोप लगाया है कि ईडी केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (KIIFB) को बदनाम कर रहा है। जिसके परिणामस्वरूप इसके विभिन्न निवेशक डर गए गए हैं। उन्होंने तर्क दिया है कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत एकमात्र वित्तीय लेनदेन जो केआईआईएफबी ने किया था वह ‘मसाला बांड’ जारी करना था और वही आरबीआई की अनुमति से किया गया था जो नियामक है। यदि आरबीआई में नियामक के रूप में किसी फेमा उल्लंघन के बारे में कोई शिकायत नहीं है, तो कोई बाहरी एजेंसी उसी के संबंध में जांच कैसे कर सकती है, यह विधायकों द्वारा अपनी याचिका में सवाल उठाया गया है।

ईडी ने पूर्व वित्त मंत्री को जारी किया था नोटिस

इसी तरह की दलीलें राज्य के पूर्व वित्त मंत्री और माकपा के वरिष्ठ नेता टी एम थामस इसाक ने भी एक अलग याचिका में दी थी। जिसमें KIIFB में एजेंसी की जांच के सिलसिले में उन्हें पेश होने के लिए ईडी के समन को चुनौती दी गई थी। उनकी याचिका उच्च न्यायालय की एक अलग पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। इसाक ने कहा था कि केंद्र की भाजपा सरकार अपने राजनीतिक लाभ के लिए सभी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने तर्क दिया है कि उन्हें जारी किए गए समन को वापस लिया जाना चाहिए।