कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना महामारी एक राष्ट्रीय चुनौती है, जिसे दलगत राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए। लेकिन इस महामारी में एक साल के बाद भी सरकार पूरी तरह से लापरवाह बनी रही। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक कोरोना महामारी के मुद्दे पर चर्चा के लिए वर्चुअली बुलाई गई थी।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में सोनिया गांधी ने कहा, “कांग्रेस ने हमेशा माना है कि कोविड-19 महामारी से लड़ना एक राष्ट्रीय चुनौती है, जिसे पार्टी की राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए। हमने फरवरी-मार्च, 2020 से अपने सहयोग का हाथ बढ़ाया। हालांकि, हम इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकते कि कोरोना की दूसरी लहर ने देश में रोष पैदा किया है। अफसोस की बात है कि महामारी के खिलाफ एक साल समय मिलने के बावजूद लापरवाही की गई। उन्होंने कहा कि आज देश के कई परिवार मुश्किल में हैं, जीवन और आजीविका समाप्त हो रही है और जीवन भर की कमाई स्वास्थ्य सेवाओं में खर्च हो रही है।
सोनिया गांधी ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर देश के कांग्रेस शासित राज्यों और अन्य गैर बीजेपी शासित राज्यों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों के कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों और कांग्रेस के सहयोगी दलों के मुख्यमंत्रियों ने कई बार प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर आवश्यक सामानों की मांग की, लेकिन केंद्र चुप्पी साधे हुए है। कई राज्यों में वैक्सीन नहीं है, वेंटिलेटर नहीं है, ऑक्सीजन नहीं है। जबकि कुछ राज्यों को सुविधाओं के मामले में प्राथमिकता के आधार पर ट्रीट किया जा रहा है।
सोनिया गांधी ने उन हजारों परिवारों के प्रति दुख जताया, जिन्होंने पिछले एक साल में इस महामारी से अपने प्रियजनों को खोया है। उन्होंने कहा, “उनका दर्द और पीड़ा, हमारा दर्द और पीड़ा है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और चिकित्सा बिरादरी के लिए आभार, जो गंभीर दबावों और जोखिमों के बावजूद अभूतपूर्व सेवा प्रदान कर रहे हैं। उनके कर्तव्य और समर्पण की भावना को सलाम।”
उन्होंने टीका निर्यात के लिए सरकार पर निशाना साधाते हुए कहा, “भारत ने पहले ही लगभग 6.5 करोड़ कोविड-19 वैक्सीन की खुराक अन्य देशों को निर्यात कर दिया है। हमारे देश में, दुनिया के सबसे अधिक संक्रमण दर को ध्यान में रखते हुए, टीका निर्यात को वापस लिया जाना चाहिए और हमारे नागरिकों की रक्षा के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए?”
अपने संबोधन में सोनिया गांधी ने टीकाकरण की उम्र सीमा को और घटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को 25 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों को टीका लगवाने की अपनी प्राथमिकता पर भी पुनर्विचार करना चाहिए। साथ ही साथ अस्थमा, एंजीना, मधुमेह, किडनी और यकृत की बीमारियों जैसे जोखिम वाले सभी युवा व्यक्तियों को भी टीका लगाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कोरोना में इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर जीएसटी में छूट की मांग दोहराई।