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कोरोना के नए स्ट्रेन पर RT-PCR टेस्ट भी नाकाम!


नई दिल्ली. देश में कोरोना संक्रमण (COVID-19 2nd Wave) के बढ़ रहे मामलों के बीच एक और चिंता सामने आ रही है. कई मामलों में यह सामने आया है कि संक्रमित व्यक्ति में कोरोना के सारे लक्षण हैं लेकिन RT-PCR जांच में वह निगेटिव पाया जा रहा है. कई ऐसे मामले सामने आए जहां शख्स को अपनी तबीयत ठीक नहीं लगी. इसके बाद जांच कराई और रिपोर्ट निगेटिव पाया, लेकिन फिर कुछ दिनों बाद आप में लक्षण विकसित हुए और फिर जांच हुई तो संक्रमित पाए गए. यानी आपकी RT-PCR जांच का रिजल्ट पॉजिटिव आया. कई अच्छे डॉक्टर्स की ओर से भी यही सलाह है कि एक बार रिजल्ट आने के बाद भी दोबारा जांच करा लें.

लखनऊ और दिल्ली में कई ऐसे परिवार हैं, जिनका फाल्स निगेटिव रिपोर्ट से सामने हुआ है. टाइम्स ऑफ इंडिया की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि RT-PCR की पांच में से एक फॉल्स निगेटिव है. लेकिन यह कैसे हुआ? कोरोना संक्रमण के मामले में RT-PCR जांच को खरा माना जाता है. क्या वायरस इस तरह से म्यूटेट हो रहा है कि यह आरटी-पीसीआर को भी चकमा दे रहा है?

एपिडिमियोलॉजिस्ट ने मीडिया रिपोर्ट्स को किया खारिज
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि भारत में किए गए RT-PCR टेस्टिंग्स SARS-CoV-2 वायरस के ‘यूके, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और डबल म्यूटेंट वेरिएंट’ को आसानी से पकड़ सकते हैं. एपिडिमियोलॉजिस्ट और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अधिकारी रहे डॉ. रमन गंगेडकर ने कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किये गये म्यूटेंट्स की थ्योरी को खारिज कर दिया. गंगेडकर ने कहा, ‘अब तक दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई डेटा या अध्ययन नहीं है, जिसमें RT-PCR टेस्ट को भी चकमा देकर कोई वैरिएंट जांच में पकड़ा ना गया हो. लेकिन इसके पर्याप्त सबूत हैं कि गलत स्वैबिंग और सैंपल कलेक्शन टेस्टिंग को प्रभावित कर सकता है.’अशोक विश्वविद्यालय में बायोसाइंसेज के स्कूल के हेड और वायरोलॉजिस्ट डॉ. शाहिद जमील भी इस बात से सहमत हुए. उन्होंने कहा कि बहुत से लोग जिन्हें स्वैब कलेक्शन के लिए भेजा जाता है, वे ट्रेन्ड नहीं होते हैं. और यही मेरी चिंता है. यहां चीजें गलत हो जाती हैं.’

इंफेक्शन साइकल में बहुत जल्दी या बहुत देर से टेस्टिंग का भी असर
टेस्टिंग में समय अहम है. आप इंफेक्शन साइकल में बहुत जल्दी या बहुत देर से टेस्टिंग करते हैं तो आप के साथ दिक्कत हो सकती है. गंगेडकर ने कहा कि इसके चलते भी फाल्स निगेटिव की संख्या बढ़ सकती है.

विशेषज्ञों के अनुसार, संक्रमित व्यक्ति के साथ निकट संपर्क खतरा है. रोगी व्यक्ति आपको छींक के सिर्फ एक खांसी के साथ संक्रमण दे सकता है. इसलिए मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग महत्वपूर्ण हैं. डॉक्टर तृप्ति गिलाडा ने कहा, ‘आप उस वक्त एक करीबी संपर्क माने जाएंगे अगर आप एक व्यक्ति की बीमारी की शुरुआत के दो दिन पहले और 10 दिन बाद संपर्क में आते हैं.’

डॉक्टर ने कहा ‘ज्यादातर मामलों में, वायरस के लिए विकसित होने की अवधि 5-14 दिन है. लक्षण आमतौर पर एक सप्ताह के भीतर दिखाई देने लगते हैं. इसलिए RT-PCR टेस्ट लेने का सबसे अच्छा समय संक्रमण के सातवें दिन होगा. अगर आप में बीमारी के लक्षण नहीं हैं तो रोगी के संपर्क में आने से एक हफ्ते के भीतर जांच करानी होगी. इससे पहले जांच कराने में यह खतरा है कि संक्रमण RT-PCR जांच की पकड़ में नहीं आएगा.’

सामान्य संक्रमण 14 दिनों तक रह सकता है- डॉक्टर
संक्रमण के संपर्क में आने के 5-10 दिन बाद लक्षण आ सकते हैं. लक्षण दिखाने से 48-72 घंटे पहले वायरस सबसे अधिक संक्रामक होता है. इसलिए जैसे ही आपको लक्षण दिखें तुरंत खुद को आइसोलेट कर लें. डॉक्टर ने कहा कि ‘पता चलने के बाद एक सामान्य संक्रमण 14 दिनों तक रह सकता है. एक हफ्ते बाद भी आप जांच करा कर निगेटिव पाए जा सकते हैं साथ ही आपके भीतर लक्षण भी खत्म हो जाएंगे.’