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कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट ने बढ़ाई परेशानी, कई देशों में लौटीं पाबंदियां और लॉकडाउन


  • नई दिल्ली. कोरोना वायरस का अत्यधिक संक्रामक स्वरूप अब पूरी दुनिया में तेजी से अपने पांव पसार रहा है. इसी वजह से कई देशों ने अपने यहां लगी पाबंदियों को और सख्त कर दिया है, तो कई स्थानों में लॉकडाउन हटाने की योजना पर फिलहाल रोक लगा दी गई है या उसकी अवधि को आगे बढ़ा दिया गया है, ताकि वायरस के चेन को तोड़ने में मदद मिल सके. कोरोना वायरस के इस स्वरूप को ‘डेल्टा’ नाम दिया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायरस के इस प्रकार को चिंता के स्वरूप (variant of concern) की तर्ज पर सूचीबद्ध किया था.

कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप ने बढ़ाई जिम्बाब्वे सरकार की चिंता

जिम्बाब्वे सरकार ने बीते 12 जून को कोविड-19 के डेल्टा संस्करण का पता लगाने के बाद हुरुंगवे और करिबा जिलों में दो सप्ताह के लिए स्थानीय लॉकडाउन की घोषणा की है. सरकार ने कहा कि पिछले तीन दिनों में कोरोना वायरस के 40 से अधिक मामले दर्ज किए गए है.

डेल्टा स्वरूप के चलते लॉकडाउन बढ़ाने पर विचार कर रहा ब्रिटेन

ब्रिटेन की सरकार कोविड-19 के डेल्टा स्वरूप के मामलों में लगातार वृद्धि के बीच 21 जून के बाद सभी लॉकडाउन पाबंदियां चार सप्ताह तक बढ़ाने पर विचार कर रही है. ब्रिटेन में फरवरी के अंत के बाद से बीते 24 घंटे में कोविड-19 के सबसे अधिक 8,125 मामले सामने आए हैं और जन स्वास्थ्य इंग्लैंड (पीएचई) को पता चला है कि डेल्टा स्वरूप (बी1.617.2) के मामले एक सप्ताह में लगभग 30 हजार से बढ़कर 42,323 तक पहुंच गए हैं. डाउनिंग स्ट्रीट के सूत्रों ने बीबीसी को बताया कि अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ताजा आंकड़ों का अध्ययन कर रहे हैं. सोमवार को वह लॉकडाउन के संबंध में घोषणा करेंगे.

डब्ल्यूएचओ ने जारी की यूरोप में डेल्टा प्रकार के प्रसार पर चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन के यूरोप निदेशक ने चेतावनी दी है कि कोविड-19 का उच्च संचरण वाला प्रकार ‘क्षेत्र में जड़ जमा सकता है’ क्योंकि कई देश प्रतिबंधों में ढील देने की तैयारी कर रहे हैं और अधिक सामाजिक कार्यक्रमों तथा सीमा पार यात्राओं की अनुमति दे रहे हैं. डब्ल्यूएचओ के डॉ. हंस क्लूगे ने बृहस्पतिवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि इस प्रकार को ‘डेल्टा’ प्रकार के नाम से भी जाना जाता है और इस पर कुछ टीकों के प्रभावी नहीं होने के भी लक्षण हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि आबादी का कुछ हिस्सा खासकर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अब भी टीका नहीं लगा है.