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क्या चीन की लैब में पैदा हुआ कोरोना; जाँच पर भारत भी आया सामने


  • कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. गुरुवार को अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से कोरोना वायरस की उत्पत्ति की दूसरे चरण की जाँच आगे बढ़ाने को कहा था.

अमेरिका ने ये भी कहा है कि चीन में स्वतंत्र विशेषज्ञों को वास्तविक डेटा और नमूनों तक पहुँच मिलनी चाहिए. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ख़ुफ़िया एंजेंसियों से कहा है कि अपनी कोशिशों को तेज़ करें और 90 दिनों के अंदर ऐसी जानकारी जुटाएं, जिसके आधार पर किसी ठोस नतीजे के क़रीब पहुँचा जा सके.

अब भारत ने भी इस मामले में अपनी राय रखी है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा, ”विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोविड-19 की उत्पति से जुड़ी जाँच का अध्ययन एक अहम क़दम है. इस मामले में अगले चरण की जाँच की ज़रूरत है ताकि किसी निष्कर्ष पर पहुँचा जा सके. इस जाँच और अध्ययन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन को सभी से मदद मिलनी चाहिए.”

24 मई को बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के पीछे चीन हो सकता है, इसलिए सभी भारतीयों को एकजुट रहना चाहिए. इंदौर में एक कार्यक्रम में कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था, ”इस बात पर बहस हो रही है कि कोरोना की यह लहर प्राकृतिक है या किसी ने जानबूझकर फैलाई गई है. अगर दुनिया में कोई चीन को चुनौती दे रहा है तो वो मोदी जी हैं. क्या चीन इसी का जवाब दे रहा है? मेरा मानना है कि यह चीन का वायरस वार है क्योंकि कोरोना न तो बांग्लादेश में न भूटान में और न ही पाकिस्तान में इस तरह से आया.”

WHO के नेतृत्व वाली एक टीम इसी साल जनवरी और फ़रवरी महीने में चार हफ़्तों तक चीन के वुहान शहर के आसपास रही थी. इनके साथ चीनी रिसर्चर भी थे. WHO की इस टीम की रिपोर्ट इसी साल मार्च महीने में आई थी और कहा था कि शायद कोरोना वायरस चमगादड़ों और दूसरे जानवरों के ज़रिए इंसानों में आया.

WHO ने कहा था कि कोरोना किसी लैब से पैदा हुआ, ऐसा कहना मुश्किल है. अब इस मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसियों से कोरोना के लैब में पैदा किए जाने की जाँच के लिए कहा था. इसमें चीन के वुहान स्थित लैब को भी रखा गया है.

गुरुवार को जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी मिशन ने अपने बयान में कहा था कि WHO की शुरुआती जाँच अपर्याप्त और निष्कर्षविहीन थी इसलिए दूसरे चरण की जाँच पारदर्शी तरीक़े और सबूतों पर आधारित होनी चाहिए.

अमेरिका ने चीन को इस जाँच में शामिल करने के लिए कहा है. अमेरिका ने अपने बयान में कहा, ”यह मुश्किल है कि चीन स्वतंत्र विशेषज्ञों को सही डेटा और सैंपल मुहैया कराएगा. इस जाँच के लिए बहुत ज़रूरी है कि महामारी की शुरुआती स्थिति को लेकर सही जानकारी दी जाए.”