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खुदकुशी करने वाले सांसद मोहन डेलकर के कमरे से मिला 6 पन्नों का सुसाइड नोट, लिखा 40 लोगों का नाम


 दादरा और नागर हवेली के सांसद मोहन डेलकर का शव पोस्टमार्टम के बाद उनके परिजन को सौंप दिया गया। मोहन मुंबई के एक होटल में सोमवार को मृत पाए थे। पुलिस अधिकारी ने बताया कि मौत की वजह का पता लगाने के लिए उनका विसरा सुरक्षित रखा गया है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दादरा और नागर हवेली के 58 वर्षीय सांसद डेलकर का शव सोमवार को दक्षिणी मुंबई के मरीन ड्राइव इलाके में एक होटल में छत के पंखे से लटका मिला था। अधिकारी ने बताया कि निर्दलीय सांसद के शव के पास से गुजराती में लिखा एक सुसाइड नोट भी मिला है। छह पन्नों के सुसाइड नोट में करीब 40 लोगों के नाम लिखे हुए हैं। पुलिस जांच कर रही है कि सुसाइड नोट में जो हैंडराइटिंग है क्या वो मोहन डेलकर की है। वहीं पुलिस ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद के बाद ही मौत की वजह का पता लग पाएगा।

मोहन डेलकर ने खुदकुशी क्यों की, पुलिस अभी इस पर कुछ भी नहीं बोल रही है। पुलिस का कहना है कि पूरी जांच के बाद ही कुछ रहा जा सकता है। अधिकारी ने बताया कि प्राथमिक जानकारी के आधार पर दुर्घटनावश मौत का मामला दर्ज किया गया है। फॉरेंसिक टीम ने होटल के उस कमरे की 4 घंटे तक तलाशी ली जहां मोहन डेलकर का शव बरामद हुआ था। डेलकर मई 2019 में सातवीं बार सांसद निर्वाचित हुए थे। वह कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय मामलों संबंधी लोकसभा की स्थायी समिति के सदस्य थे। वहीं वह गृह मंत्रालय संबंधी निम्न सदन की सलाहकार समिति के सदस्य भी थे। डेलकर के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है।

मोहन डेलकर का राजनीतिक सफर
अनुसूचित जनजाति के अधिकारों के पैरोकर मोहन सांजीभाई डेलकर ने अपना करियर सिलवासा में ट्रेड यूनियन नेता के तौर पर शुरू किया था। वह पहली बार दादरा और नागर हवेली से कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर 1989 में निर्वाचित हुए थे। वह 1989-2009 तक लगातार छह बार निर्वाचित होकर संसद भवन पहुंचे। इसके बाद उन्हें 2009 और 2014 के लोक सभा चुनावों में हार का सामना करना। हालांकि उन्होंने 17वीं लोकसभा में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। डेलकर को 1989,1991 और 1996 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार और 1998 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में सफलता मिली थी। वह दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए और 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार तो बने लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। साल 2019 में उन्होंने खुद को कांग्रेस से अलग करने का फैसला किया और बतौर निर्दलीय उम्मीदवार लोकसभा चुनाव में उतरे और जीत दर्ज करने में कामयाबी हासिल की। डेलकर मई 2019 में सातवीं बार सांसद निर्वाचित होकर संसद पहुंचे थे