तापमान में गिरावट के बावजूद मौसम राहत देने का नाम नहीं ले रहा है। आलम यह है कि गुरुरवार को पूरे दिन गलन का जोर बना हुआ था और लोगबाग इससे बचने के लिये इंतजाम में लगे हुए थे। सर्दी का सितम बना रहा और धूप से तीखापन नदारद रहा। सूर्यदेव की किरणें गलन के आगे कमजोर साबित हुईं। इस बीच बीच-बीच में सर्द हवा के झोंके लोगों को झकझोर रहे थे। दिन का अधिकतम तापमान 24.4 डिग्री सेल्शियस और न्यूनतम तापमान 8.3 डिग्री सेल्शियस दर्ज किया गया। मौसम के जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में तापमान लुढ़कने का अंदेशा बना हुआ है और हवा का रुख बदला तो वर्षा भी होगी। गलन का सितम सायंकाल तक बना हुआ था। मौसम का तेवर भांपकर लोगबाग घरों में दुबक गये। धूप होने के बावजूद इसमें तल्खी नदारद रही और हवा के हल्के झोंके ही लोगों को झकझोर रहे थे। भोर में बादलों की आवाजाही से ही मौसम बदलने के संकेत मिलने लगे थे। दिन शुरू हुआ तो भगवान भास्कर ने दर्शन दिये तो लोगों के चेहरे खिल गये। आनन-फानन लोगों ने अपने कार्य पूरे किये और आवश्यक कार्यों से निकले। धूप होने के बावजूद सर्द हवा और गलन का दौर बना हुआ था। दिनभर गलन बनी हुई थी और लोग कंपकंपा रहे थे। हालांकि धूप से राहत की कोशिश हुई और यही वजह है कि सार्वजनिक स्थानों पर लोगों की भीड़ धूप में बैठी हुई थी। घाटों और पार्कों में लोग जुटे रहे। शाम को सूर्यास्त होने के बाद गलन में इजाफा हुआ। लोगों ने बच्चों और वृद्घों के लिये विशेष सावधानी बरती और उन्हें शाल, मोजे और गर्म कपड़े से लाद दिया। दूसरी ओर, ग्रामीण इलाकों में सर्दी का जोर रहा। यहां खेतों में उतरे किसानों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा। ठंड से राहत के लिये लोग इंतजाम में लगे हुए थे। गलन और सर्द हवा से राहत के लिये लोगों ने घरों के बाहर अलाव जलाया और खेती-किसानी पर चर्चा करते दिखे। रात में कुहासा होने से वाहन चालकों की दिक्कत भी शुरू हो गई है और एहतियातन लोग रात की यात्रा करने से भी परहेज कर रहे हैं। रात्रि में खराब मौसम के कारण सड़कों पर जल्दी सन्नाटा हो गया। जरूरी कार्यों से ही लोग घरों के बाहर निकले। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डाक्टर एसएन पांडेय ने बताया कि दिल्ली के बाद पश्चिमी विक्षोभ पूर्वांचल और वाराणसी पहुंच चुका है। दिन में धूप और रात में गलन का सितम बना रहेगा। न्यूनतम तापमान में भी लगातार गिरावट आयेगी और ठंड में इजाफा होगा।