अफजाल अंसारी ने 1985 से मुहम्मदाबाद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना शुरू किया था। इसी चुनाव से मुख्तार अंसारी का दबदबा दिखने लगा था। वह जरायम की दुनिया में उतर चुका था। तब से लेकर 2017 में भाजपा सरकार बनने तक मुख्तार का भय हर चुनाव में हावी रहता।
मुख्तार के भय का आलम यह था कि 2004 के लोकसभा चुनाव के शुरू होते ही फाटक से चंद कदम की दूरी पर क्रय-विक्रय केंद्र पर भाजपा समर्थक झिलकू गिरहार की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई। उसके स्वजन का आरोप था कि उसकी लाश को घुमाया गया।
जिप्सी पर सवार होकर भीड़ पर मुख्तार ने की थी फायरिंग
दहशत फैलाने के लिए मुख्तार के लोगों ने खुली जिप्सी पर सवार होकर भीड़ पर फायरिंग भी की थी। कई लोगों को गोली लगी थी। शाम होते-होते दूसरी हत्या मोहनपुरा निवासी शोभनाथ राय की हुई थी। शोभनाथ भाजपा प्रत्याशी मनोज सिन्हा के भतीजे थे। वह मतदान के बाद पार्टी कार्यालय आ रहे थे।
मुहम्मदाबाद रेलवे फाटक के पास उन पर हमला हुआ था। हालांकि, शासन सत्ता में पकड़ की बदौलत दोनों मामलों में मुख्तार के खिलाफ रिपोर्ट तक नहीं लिखी गई थी। कहने वाले कहते हैं कि चुनाव समाप्त होने पर मुख्तार अंसारी ने खुली जिप्सी में 50 लोगों के साथ घूमकर दहशत फैलाया था। चुनावों में मुख्तार की दखल किसी से छिपी नहीं रही।
अब मुख्तार अंसारी की मौत के बाद पहली बार अफजाल अंसारी चुनाव मैदान में है। यह पहला चुनाव है, जिसमें मुख्तार का कोई भय नहीं दिख रहा है। लोग बताते हैं कि मुख्तार अंसारी पहले की सरकारों में जेल में रहते हुए चुनाव प्रबंधन करता था। वहीं से बिरादरियों के लंबरदारों व प्रभावशाली लोगों को फोन कर चुनाव को मैनेज करता है।
11वीं बार चुनाव में अफजाल अंसारी
अफजाल ने पहली बार 1985 में भाकपा के टिकट पर मुहम्मदाबाद से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने। ये सिलसिला 1989, 1991, 1993 व 1996 तक चलता रहा। 2002 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा के कृष्णानंद राय से चुनाव हार गए।
2004 के लोकसभा चुनाव में उतरे और पहली बार सांसद बने। हालांकि 2009 व 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2019 में अफजाल अंसारी ने सपा-बसपा गठबंधन में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर तत्कालीन रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को हरा दिया था।
मुख्तार ने जेल में रहते जीता था तीन चुनाव
मुख्तार अंसारी पांच बार विधायक रहा। 15 साल से ज्यादा वक्त जेल में काटा। 1996, 2002, 2007, 2012 और 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में मुख्तार अंसारी को जीत मिली। तीन विधानसभा चुनावों में मुख्तार अंसारी ने जेल में रहकर ही जीत हासिल की थी।