श्रीनगर। : अनुच्छेद 370 क्या हटा, अलगाववादी सियासत करने वालों को अब अपने घर में भी समर्थन नहीं मिल रहा है। कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी की नातिन और शब्बीर शाह की बेटी ने अलगाववादी सियासत (Separatist Politics in Jammu Kashmir) से स्वयं को अलग कर लिया है।
विचारधारा से नहीं है कोई नाता
दोनों ने कहा कि उनका हुर्रियत कॉन्फ्रेंस, तहरीके हुर्रियत कश्मीर और डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी या इनकी विचारधारा से कोई नाता नहीं है। दोनों ने स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित करवाए अलग-अलग नोटिस में भारत की संप्रभुता का समर्थन किया है। नोटिस (Jammu Kashmir Separatist Geelani) में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि वह भारत की नागरिक हैं और कोई उन्हें बेवजह अलगाववाद की राजनीति और उनके संगठन से न जोड़े।
शब्बीर की बेटी लंदन में कर रही पढ़ाई
बता दें कि शब्बीर शाह की बेटी समा शब्बीर पिछले छह वर्ष से लंदन में मैनचेस्टर विश्वविद्यलय में कानून की पढ़ाई कर रही हैं, वहीं गिलानी की नातिन रुवा शाह पेशे से पत्रकार हैं और इन दिनों तुर्किये में है। सैयद अली शाह गिलानी अलगाववादी सियासत के केंद्र थे और कट्टरवादी हुर्रियत के अध्यक्ष रहे हैं।
गिलानी ने हमेशा पाकिस्तान परस्त राजनीति की। वर्ष 2021 में उनका निधन हो गया था। गिलानी के दामाद व रुवा शाह के पिता मोहम्मद अल्ताफ फंतोश उर्फ फंटूश भी कट्टरपंथी अलगाववादी थे।
यह बताया है नोटिस में
शब्बीर शाह की बेटी समा शब्बीर की ओर से समाचार पत्र में छपे नोटिस में कहा गया है कि पिता के संगठन जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी या अन्य राष्ट्रविरोधी संगठन से उसका कोई नाता नहीं है। वह सच्ची भारतीय नागरिक है। उसे अपने पिता की पार्टी की विचारधारा से कोई सहमित नहीं है और न ही वह इसका समर्थन करती है।
समा ने यह भी चेतावनी दी है कि जो कोई भी उसका नाम इस पार्टी के साथ जोड़ेगा तो वह उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी। हालांकि समा या उसके परिवार में से किसी ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है। जागरण ने उसके स्वजन से संपर्क करने की कई बार कोशिश की, लेकिन उनके मोबाइल फोन बंद मिले। वहीं रुवा ने भी इसी तरह के नोटिस में खुद को अपने नाना और पिता की अलगाववादी सियासत से पूरी तरह अलग बताया।
2017 में टेरर फंडिंग में पकड़े गए थे
उन पर वर्ष 2016 में हुए हिंसक प्रदर्शनों के आयोजन और अलगाववादियों में पैसा बांटने में अहम भूमिका निभाने का आरोप है। फंतोष टेरर फंडिंग के आरोप में वर्ष 2017 में पकड़े गए थे और 11 सितंबर 2022 को उनकी कैंसर से मौत हो गई थी। वहीं जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी के चेयरमैन शब्बीर अहमद शाह टेरर फंडिंग के आरोप में 2017 से तिहाड़ जेल में बंद हैं।
उनके संगठन को पिछले वर्ष अक्टूबर में केंद्र सरकार ने गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया था और श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में स्थित उनका रिहायशी मकान भी सील कर दिया गया था। समा की छोटी बहन का नाम सहर है और वह श्रीनगर में अपनी मां डा. बिल्कीस के साथ रह रही है। समा शब्बीर को ईडी ने वर्ष 2019 में पूछताछ के लिए समन भी भेजा था।