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China: दुनिया की सबसे बड़ी iPhone Factory में Lockdown में फंसे कर्मचारियों की दर्दभरी दास्‍तां


बीजिंग,। चीन में कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर फिर सरकार और आमलोगों में दहशत हैं। कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने के बाद कई शहरों में लॉकडाउन लगा दिया गया है। लाखों लोग घरों में कैद रहने को मजबूर हैं। इस दौरान लोग किन मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, इसकी सिर्फ कल्‍पना ही की जा सकती है। ऐसी ही भयावह यादों को साझा करते हुए झांग याओ ने बताया कि जब चीन (China) में आईफोन (iPhone) बनाने वाली सबसे बड़ी फैक्ट्री के कोविड लॉकडाउन (Covid Lockdown) में फंसे लाखों कर्मचारियों के साथ बेहद बुरा बर्ताव हो रहा था। झांग याओ की आवाज में उन दिनों की दहशत अब भी महसूस की जा सकती है।

अचानक 3000 कर्मचारियों को कर दिया क्‍वारेंटीन

झांग याओ ने बताया कि वो अक्टूबर महीने की शुरुआत के दिन थे, जब उनके सुपरवाइजर ने अचानक से उन्हें चेतावनी दी कि उनके 3000 साथियों को क्वारेंटीन में डाल दिया गया है, क्योंकि कुछ लोग फैक्ट्री में कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए थे। उन्होंने हमसे कहा कि हम अपने मास्क न उतारें। अगर कोई ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। झांग ने न्‍यूज एजेंसी एएफपी को टेलीफोन पर बताया कि इसके बाद कई हफ्तों तक वह क्‍वारेंटीन रहे। इस दौरान खाने की कमी रही और हमेशा संक्रमण का डर लगा रहता था। आखिरकार वह मंगलवार को फैक्ट्री ने भाग निकले।

चीन में लोगों पर थोपा जा रहा कोविड बबल

चीन में कई जगहों पर ऐसे ही हालात देखने को मिल रहे हैं। लोगों को जबरन क्‍वारेंटीन में डाला जा रहा है। ताइवानी कंपनी फॉक्सकॉन के कर्मचारी झांग ने कहा कि ‘कोविड बबल’ को उनके ऊपर थोप दिया गया था और वह इस दौरान कुछ कर भी नहीं सकते थे। दरअसल, झांग के लिए हालात तब बिगड़े जब स्थानीय अधिकारियों ने एपल की बड़ी सप्लायर फैक्ट्री के आसपास का क्षेत्र को लॉकडाउन में डाल दिया। पिछले दिनों कई वीडियो सामने आए, जिसमें कर्मचारी पैदल ही फैक्‍ट्री से भागते नजर आए। बताया जा रहा है कि लॉकडाउन के दौरान लोगों को उचित स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

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फैक्‍ट्री में हर पल महसूस होता था अनदेखा खतरा

कई कर्मचारियों ने फॉक्सकॉन के वर्कशाप और डॉरमेट्री के मुश्किल हालात और अव्यवस्था को याद किया। झांग ने एएफपी को बताया कि उसके फैक्ट्री में एक साथ हजारों लोग मौजूद थे। इनमें से कई संक्रमित थे, जैसे की सुपरवाइजर ने बताया। ऐसे में फैक्‍ट्री से निकलने से पहले कोविड पॉजिटिव टेस्ट आना कोई हैरानी की बात नहीं थी। इसलिए फैक्‍ट्री में गुजारे दिनों के दौरान हम हर पल डर के साए में रहते थे। हम सब जानते थे कि खतरा हमारे आसपास ही मंडरा रहा है। ये ऐसा डर था, जो हमें दिखाई नहीं देता था, लेकिन हम सभी इसे हर पल महसूस करते थे।

बुखार होने के बाद भी दवा मिलने की कोई गारंटी नहीं थी…!

फॉक्सकॉन के एक कर्मचारी ने नाम ना बताने की शर्त पर अपनी दर्द भरी यादों को बयां किया। उन्‍होंने बताया कि फैक्‍ट्री में अव्‍यवस्‍था चरम पर थी। जिन लोगों को बुखार था, उन्हें दवा मिलेगी या नहीं इसकी भी कोई गारंटी नहीं थी। ऐसे में लोगों की हालत और बिगड़ने की पूरी संभावना थी। ऐसे लोग दूसरे साथियों के लिए भी परेशानी का सबब बन सकते थे। तबीयत खराब होने या किसी अन्‍य वजह से जो लोग काम करना बंद करने का फैसला करते, उनका खाना बंद कर दिया जाता था। कुल लोग अपने पास रखे इंस्टेंट नूडल खाकर जीवित रहे। सोचिए, ऐसे हालात में जीवन कितना मुकिश्‍ल होगा, जिसे हमने जीया।

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फैक्‍ट्री के बाहर लग गया था कूड़े का ढेर…!

न्‍यूज एजेंसी एएफपी के द्वारा जियोलोकेट किए गए टिकटॉक वीडियो में दिखाई देता है कि फैक्‍ट्री के बाहर हालात कैसे थे। अक्टूबर के आखिर में फैक्‍ट्री के बाहर कूड़े का पहाड़ लग गया था। कर्मचारियों को एन-95 मास्क पहना कर शटल बस में डॉरमेट्री से काम की जगह ले जाया जाता। कर्मचारियों ने बताया कि महीने के आखिर तक कई लोग डिप्रेस का शिकार हो गए थे। ये लोग अपने घर जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कंपनी ने कदम-कदम पर अडंगा लगा रखा था। ऐसे में जो लोग वहां से निकल पाए, वो अपने आपको खुशनसीब मानते हैं।