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गोगरा-हॉटस्प्रिंग से भी सैनिकों की वापसी के पीछे कहीं SCO Summit का यह फैक्‍टर तो नहीं


नई दिल्ली। मई, 2020 से पूर्वी लद्दाख के इलाके में चीनी सैनिकों की घुसपैठ से भारत और चीन के बीच गहराए तनाव के अब खत्म होने के आसार बन गये हैं। गुरुवार को भारत और चीन ने संयुक्त बयान जारी कर यह बताया है कि 16 वें दौर की सैन्य कमांडर स्तर की बैठक में बनी सहमति के मुताबिक गोगरा-हॉटस्प्रिंग इलाके (पीपी 15) से दोनो देश अपने सैनिकों को वापस बुलाना शुरू कर दिये हैं। सैनिकों की वापसी आपसी समन्वय और योजनागत तरीके से की जा रही है। जानें इस पहलकदमी के क्‍या हैं मायने… 

शांति बनाये रखने में मददगार होगा यह कदम

यह सीमावर्ती इलाकों में अमन व शांति बनाये रखने में सहायक होगा। तकरीबन 28 महीनों से चल रहे सैन्य विवाद के निपटारे में गोगरा-हॉटस्प्रिंग का इलाका सबसे बड़ी अड़चन बना हुआ था। अब यहां सैनिकों की वापसी के बाद माना जा रहा है कि अगले हफ्ते ताशकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शीर्षस्तरीय बैठक में पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफ‍िंग के बीच मुलाकात की संभावना बढ़ गई है।

मोदी-चिनफ‍िंंग की मुलाकात की ओर इशारा

सरकारी स्तर पर अभी यह नहीं बताया गया है कि दोनों नेताओं के बीच मुलाकता होगी या नहीं लेकिन सारी गतिविधियां इस बात की इशारा कर रही हैं। यह बैठक 15-16 सितंबर, 2022 को होने वाली है। बताते चलें कि वर्ष 2016 में जब भारत और चीन के बीच डोकलाम (भूटान सीमा पर) में तनाव पैदा हुआ था तब भी ब्रिक्स शिखर बैठक से ठीक पहले सैनिकों की वापसी का फैसला हुआ था।

ऐसे चला घटनाक्रम

बाद में अप्रैल, 2017 में मोदी और चिनफ‍िंग के बीच अनौपचारिक वार्ता का दौर शुरू करके रिश्तों को सामान्य बनाने की कोशिश की गई थी। गलवन घाटी (पूर्वी लद्दाख) में मई, 2020 में चीनी सैनिकों की घुसपैठ और इस पर भारतीय सेना की यथोचित कार्रवाई से हालात बिगड़ गये थे। जून, 2020 में दोनों तरफ के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष से हालात और गंभीर हो गये थे।

एक मंच पर जमा होंगे दिग्‍गज

इस बार चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद पहली बार वास्तविक तौर पर मोदी और चिनफिंग‍ एससीओ सम्मेलन में एक मंच पर एकत्रित होंगे। हालांकि बीच में कई बार ब्रिक्स व एससीओ की वर्चुअल तरीक से हुई बैटक में इन्होंने हिस्सा लिया है। अगर यह मुलाकात होती है तो नवंबर, 2019 में चेन्नई के पास मामल्लापुरम में इनके बीच अनौपचारिक बैठक के बाद यह पहली मुलाकात होगी।

अपनी मांग पर अंत तक अड़ा रहा भारत

वैसे मौजूदा सैन्य तनाव के बावजूद दोनो देशों के बीच संवाद कभी खत्म नहीं हुआ। विदेश मंत्रालय के स्तर पर और सैन्य कमांडर स्तर पर वार्ता का दौर लगातार जारी रहा है। इस बीच चीन के विदेश मंत्री वांग यी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच भी पांच बार द्विपक्षीय बैठकें हुई हैं। मार्च, 2022 में वांग यी ने भारत का दौरा भी किया था। तब भारत ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि जब तक सीमा पर अमन व शांति बहाली नहीं होती तब तक दोनों देशों के रिश्ते को सामान्य नहीं बनाया जा सकता।

रंग लाई बातचीत जारी रखने की पहल

लगातार संवाद का नतीजा यह रहा था कि सबसे पहले नवंबर-दिसंबर, 2020 में पैंगोंग झील के फ‍िंगर इलाके में सैनिकों को वापस बुलाने की सहमति बनी। उसके बाद गोगार हॉटस्प्रिंग (पीपी17) इलाके से सैनिकों को वापस बुलाया गया और फिर गलवन घाटी से भी सैनिकों की वापसी संभव हो सकी।

अभी पूरी तस्‍वीर साफ होनी बाकी

एक समय इस पूरे इलाके में दोनों तरफ से एक-एक लाख सैनिक तैनात होने की सूचना। गैर आधिकारिक सूचना के मुताबिक अभी भी दोनों देशों के 50-50 हजार सैनिक पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात हैं। अब इनकी वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इस वापसी के बाद पूरे एलएसी पर मई, 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल हो सकेगी या नहीं।