नई दिल्ली,: हमारे देश में गोल्ड खरीदा एक बड़ा निवेश माना जाता है। हर व्यक्ति सोने में छोटा ही सही लेकिन निवेश करता ही है। ज्यादातर निवेश लोग फिजिकल गोल्ड में करते हैं। यानी गोल्ड से बनी ज्वैलरी। परेशानी यह है इन ज्वैलरी को खरीदे को लिए आपको मेकिंग चार्ज भी देना पड़ता है।
अब जमाना बदल चुका है, डिजिटल इंडिया में निवेशक अब स्मार्ट निवेशक बन गए हैं। वो गोल्ड में तो निवेश करना चाहते हैं लेकिन ये मेकिंग चार्ज, सोने की शुद्धता और सोने की सुरक्षा जैसे तमाम झंझटे में नहीं पड़ना चाहते, इसलिए अब निवेशक ज्यादा तर ऑनलाइन डिजिटल गोल्ड खरीदते हैं।
यह गोल्ड सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign gold bonds (SGBs)), गोल्ड म्युचुअल फंड (Gold mutual funds) और गोल्ड ईटीएफ (Exchange traded funds) के रूप में होते हैं। गोल्ड के इन रूपों को पेपर गोल्ड भी कहा जाता हैं।
हम आज आपको यही बताएंगें कि आप केवल फिजिकल गोल्ड के अलावा, गोल्ड में और किस तरह से निवेश कर सकते हैं। सरल भाषा में कहें तो सोने में कितने तरह से आप निवेश कर सकते हैं। यहां आपको बता दें कि इन सभी गोल्ड के रूप में रिटर्न, तरलता, जोखिम, निवेश में आसानी और कराधान के पैमाने पर अंतर होता है। चलिए एक-एक कर समझते हैं।
प्राइसिंग में कितना होता है अंतर?
अगर आप 24 जून तक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को सब्सक्राइब करते हैं तो SGB के लिए 5,926 रुपये प्रति ग्राम का ईश्यू प्राइस रखा गया है। अगर गोल्ड म्युचुअल फंड या ईटीएफ में दोपहर 3 बजे के दैनिक कट-ऑफ समय से पहले निवेश करते हैं तो आपको उसी दिन कीमत मिल सकती है जिस दिन आपने निवेश किया है।
किसमें लगती है कम लागत?
जब बात रिटर्न की आती है तो इंवेस्टमेंट कॉस्ट एक बड़ी भूमिका निभाती है। चूंकी SGB सरकार के द्वारा जारी किया जाता है इसलिए इसकी निवेश प्रबंधन की लागत अपेक्षाकृत कम होती है लेकिन इसकी खरीद और बिक्री प्रक्रिया के दौरान ब्रोकरेज शुल्क या लेनदेन शुल्क लग सकता है।
गोल्ड म्यूचुअल फंड आपसे 1 और 2 प्रतिशत तक चार्ज करते है जो फंड मैनेजमेंट फीस, प्रशासनिक लागत और अन्य खर्चों को कवर करता है। अगर बात ईटीएफ की करें तो इसकी लागत गोल्ड फंड से कम होती है। गोल्ड ईटीएफ का एक्सपेंस अनुपात गोल्ड फंड प्रबंधन शुल्क और परिचालन व्यय को कवर करता है।
किस गोल्ड में मिलता है अधिक रिटर्न?
हम और आप निवेश इसलिए करते हैं ताकि ज्यादा रिटर्न मिल सके। चलिए जानते है कि किस गोल्ड के रूप में आपको सबसे ज्यादा रिटर्न मिलता है।
SGB पर कुल रिटर्न में दो चीजों पर निर्भर करती हैं। सालाना भुगतान की जाने वाली निश्चित ब्याज दर, और मौजूदा सोने की कीमतों के आधार पर बढ़ी हुई पूंजी। ब्याज दर और कैपिटल अप्रिशिएशन मिलकर समग्र रिटर्न निर्धारित करते हैं।
गोल्ड म्यूचुअल फंड का कुल रिटर्न अंडरलाइंग ऐसेट के प्रदर्शन पर आधारित होता है, जो सोने की कीमत में उतार-चढ़ाव से प्रभावित होता है। रिटर्न सीधे बाजार के प्रदर्शन से जुड़ा होता है। हालाँकि, निवेशकों को 1 प्रतिशत से 2 प्रतिशत का एक्सपेंस अनुपात देना होता है जिसकी वजह से नेट रिटर्न कम हो जाता है।
गोल्ड म्यूचुअल फंड के समान, गोल्ड ईटीएफ का कुल रिटर्न भी सोने की कीमत में उतार-चढ़ाव पर आधारित होता है। रिटर्न सीधे बाजार के प्रदर्शन से जुड़ा होता है। हालाँकि, ईटीएफ का व्यय अनुपात गोल्ड फंड की तुलना में बहुत कम होता है। आमतौर पर, गोल्ड ईटीएफ का व्यय अनुपात 0.2 प्रतिशत और 0.5 प्रतिशत के बीच होता है।
इस तरह अतिरिक्त ब्याज और कम लागत के कारण, SGB का रिटर्न हमेशा गोल्ड म्युचुअल फंड या गोल्ड ईटीएफ से अधिक होगा।
अगर आप यह सोच रहे हैं कि इस हिसाब से आपको SGB में निवेश करना चाहिए तो आपको हम सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड और गोल्ड ईटीएफ के बारे में सभी डिटेल बता रहे हैं जो आपको निवेश करने से पहले जानना चाहिए।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड
एंट्री प्राइस: आईबीजेए द्वारा प्रकाशित पिछले 3 व्यावसायिक दिनों के 999 शुद्धता वाले सोने के बंद भाव का सरल औसत
निवेश सीमा: प्रति व्यक्ति के लिए न्यूनतम 1 ग्राम से अधिकतम 4 किग्रा
होल्डिंग फॉर्म: होल्डिंग सर्टिफिकेट या डीमैट
लॉक-इन: 8 साल
प्रबंधन की लागत: शून्य
अतिरिक्त रिटर्न: अर्धवार्षिक अंतराल पर 2.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज का भुगतान
टोटल रिटर्न: सोने की कीमत में बढ़ोतरी + 2.5 प्रतिशत प्रति वर्ष इंटरेस्ट
लिक्विडिटी: 5 वर्ष के बाद प्रीमेच्योर रिडीम्पशन की अनुमति। हालाँकि, बॉन्ड जारी होने के एक फोर्टनाइट के बाद स्टॉक एक्सचेंज पर व्यापार योग्य होता है
टैक्सेशन: परिपक्वता तक रखे जाने पर लाभ पर छूट मिलता है; 5 साल बाद बेचा गया -20% इंडेक्सेशन के साथ; 1-5 वर्षों के भीतर बेचा गया – 10 प्रतिशत स्लैब रेट; 1 वर्ष से पहले बेचा गया – स्लैब रेट पर
गोल्ड म्यूचुअल फंड
एंट्री प्राइस: एक कार्य दिवस के मुकाबले घंटों के अंतराल के साथ कीमत
निवेश सीमा: असीमित
होल्डिंग फॉर्म: म्युचुअल फंड यूनिट या डीमैट
लॉक-इन: नहीं
प्रबंधन की लागत: फंड के एयूएम का 1-2 प्रतिशत
अतिरिक्त रिटर्न: नहीं
टोटल रिटर्न: सोने की कीमत में बढ़ोतरी – फंड प्रबंधन शुल्क
लिक्विडिटी: निवेशकों को तरलता प्रदान करते हुए इसे किसी भी समय खरीदा या बेचा जा सकता है
टैक्सेशन: शॉर्ट टर्म गेन पर स्लैब दर से करयोग्य, दीर्घकालिक लाभ पर 20 प्रतिशत करयोग्य
गोल्ड ईटीएफ
एंट्री प्राइस: एक कार्य दिवस के मुकाबले घंटों के अंतराल के साथ कीमत
निवेश सीमा: असीमित
होल्डिंग फॉर्म: म्युचुअल फंड यूनिट या डीमैट
लॉक-इन: नहीं
प्रबंधन की लागत: फंड के एयूएम का 0.2-0.5 प्रतिशत
अतिरिक्त रिटर्न: नहीं
टोटल रिटर्न: सोने की कीमत में बढ़ोतरी – ईटीएफ प्रबंधन शुल्क
लिक्विडिटी: आप जल्दी और आसानी से खरीद और बेच सकते हैं
टैक्सेशन: शॉर्ट टर्म गेन पर स्लैब दर से करयोग्य, दीर्घकालिक लाभ पर 20 प्रतिशत करयोग्य
अगर आपने सभी डिटेल्स को ध्यान से पढ़ा होगा तो आपको अभी तक पता चल गया होगा कि आपको किसमें निवेश करना चाहिए और किसमें आप आसानी से और सबसे अच्छे से निवेश कर सकते है, किसमें निवेश करने से आपको सबसे ज्यादा टैक्स बेनिफिट मिलेगा। लेकिन अगर आप अभी भी थोड़े से भी उलझन में हैं तो हम आपको बततें हैं कि आपको कहां निवेश करना चाहिए।
कहां करें निवेश?
जोखिम के हिसाब से बात करें तो तीनों ही गोल्ड के रूप में कोई ज्यादा अंतर नहीं है। SGB आरबीआई द्वारा जारी किए जाते हैं, जबकि गोल्ड फंड और गोल्ड ईटीएफ का प्रबंधन ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी द्वारा किया जाता है।
SGB आपोक एक निश्चित ब्याज दर देता है, जबकि गोल्ड फंड और गोल्ड ईटीएफ सोने की कीमत पर नजर रखते हैं। अगर आप लॉन्ग टर्म निवेश करना चाहते हैं तो आप SGB में निवेश करने का सोच सकते हैं। लेकिन अगर आप ऐसे निवेश की तलाश में हैं जो अधिक तरल हो, तो गोल्ड ईटीएफ और फंड एक अच्छा विकल्प हो सकते है।