वाराणसी

घने कोहरे एवं सर्द हवाओंसे जनजीवन ठहरा


बीते दिनों से बढ़े ठंडने लोगों को सिकुडऩे पर मजबूर कर दिया है। पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी ने मैदानी इलाकों को भी शीतलहर एवं भीषण ठंड की आगोश में समेट लिया है। सर्द पूरे दिन घने कोहरे एवं सर्द हवाओं से लोग ठिठुर गये है। दोपहर में सूर्यदेव निकलते भी तो उनकी तपन, गलन के आगे बेअसर रहती है। आलम ये है कि लोग जरूरत होने पर ही अपने घरों से बाहर निकलने की हिम्मल कर रहे है। पूरे दिन अलाव के सहारे अपने-अपने घरों में दुबके हैं। कार्यालयों में अधिकारी एवं कर्मचारियों ने भी ठंड से बचाव के लिए हीटर आदि का सहारा ले रहे है। पूरे दिन ठंड से जद्दोजहद के बाद शाम होते ही लोग घरों में दुबक जाते हैं। ठंडी हवाओं के चलने से तापमान में भी गिरावट आयी है जिसके कारण न्यूनतम तापमान लुढ़क गया हैं। तापमान लुढ़कने से बुजुर्गों, बच्चों एवं हृदय रोगियों की भी मुश्किलें बढ़ गयी हैं। सर्द हवाओं ने सबसे ज्यादा मुसीबत उन गरीब एवं बेबश लोगों की बढ़ा दी है जो इन सर्द भरी रातों में भी सड़क किनारे फुटपाथ पर अपनी रात गुजारने पर विवश है।
कोहरेसे ट्रेनोंका संचालन प्रभावित, सवा घंटेकी देरीसे पहुंची वंदे भारत
वातावरणमें छाये घने कोहरेके कारण ट्रेनोंकी लेटलतीफी बनी हुई है। यह हाल रोजका ही बना हुआ है। शुक्रवारको नई दिल्लीसे आने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस अपने निर्धारित समयसे सवा घंटेकी देरीसे कैण्ट रेलवे स्टेशन पहुंची। इस दौरान यात्रियोंको प्लेटफार्म पर समय गुजारना पड़ा। इसके चलते उन्हें काफी परेशानियोंका सामना करना पड़ा। इसके पूर्व भी सेमी हाई स्पीड ट्रेन एक से दो घंटे की देरीसे पहुंची थी। कैण्ट स्टेशनपर अपने निर्धारित समय अपराह्नï दो बजे से लगभग सवा घंटे की देरीसे तीन बजकर १७ मिनट पर पहुंची। इसके बाद साफ-सफाई और अन्य जांचके बाद करीब शाम चार बजे नई दिल्लीके लिए रवाना हुई। इसे लेकर यात्रियोंको काफी परेशानियोंका सामना करना पड़ा।
नहीं हुई है पर्याप्त अलाव की व्यवस्था, दावा सिर्फ कागजी
विगत एक सप्ताह से मौसम में परिवर्तन होने से दिन एवं रात के तापमान में काफी गिरावट आई है। वहीं रूक-रूककर चलने वाली हवा ने लोगों का घर से निकलना दूभर कर दिया है। नगर निगम और प्रशासन का दावा है कि शहर के प्रमुख चौराहों, अस्पतालों, बस अड्डों, मलिन बस्तियों में अलाव की व्यवस्था की गयी है मगर हकीकत यह है कि इस ठंड से बचने के लिए लोग अपने स्रोतों से ही बचने की जुगत लगा रहे हैं। शहर के कई क्षेत्र में इस ठंड में भी लोगों को बचाने का समुचित प्रबंध नहीं हो सका है। सुविधा संपन्न परिवार तो इससे बचने के लिए लकड़ी, कोयला, हीटर एवं ब्लोवर का सहारा ले लेते है वहीं बेबस और लाचार लोग ठंड से परेशान होकर फटे पुराने कपड़े, कागज, रद्दी, टायर आदि जलाकर ठंड से जूझने को मजबूर हैं। शासन द्वारा क्षेत्र के प्रमुख स्थानों पर अलाव जलाने का दावा सिर्फ खानापूर्ति है जो कागजों पर ही सिमट कर रह गया है।