चंदौली

चंदौली।भीमसेन एकादशी पर गंगा में लगायी डूबकी


चहनियां। भीमसेनी एकादशी के अवसर पर सोमवार को सैकडों आस्थावानों ने बलुआ स्थित पश्चिम वाहिनी मां गंगा में डुबकी लगाया। साथ ही ब्राह्मणों व भिक्षुओं को दान देकर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान सुबह से ही स्नानार्थियो की भीड़ गंगा तट पर लगी रही और सड़के व बाजार गुलजार रहे। ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भीमसेनी एकादशी, निर्जला एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि महाभारत काल में अधिक भोजन करने वाले भीम के लिए भीष्म पितामह द्वारा यह ब्रत बताया गया था। इस ब्रत में अन्न व जल का सेवन नही किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन बिना जल के उपवास रखने से साल की सारी एकादशियों का पुण्य फल मिलता है। निर्जला एकादशी का व्रत करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन उपवास करने से अच्छी सेहत और सुखद जीवन का वरदान प्राप्त होता है। इस ब्रत के द्वारा जल संचयन, संरक्षण व परिवर्धन का संदेश भी दिया जाता है। कोरोना संक्रमण काल में शासन द्वारा तय गाइडलाइंस के कारण भीड़ भाड़ कम रही। स्नानार्थियो के आवागमन के मद्देनजर चहनियां से बलुआ घाट तक की दुकानों पर चहल पहल बनी रही व बाजार गुलजार रहे।