चंदौली। नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए फैसिलिटी बेस्ड एवं कम्यूनिटी बेस्ड एवं विभिन्न कार्यक्रम को प्राथमिकता के तौर संचालित किए जा रहें है। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी नवजात शिशु की देखभाल स्तनपान को बढ़ावा एवं कंगारू मदर केयर बीमार नवजात शिशु की पहचान एवं संदर्भ के विषय में जानकारी साझा किये जाने हेतु 25 नवंबर को नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में किया गया। इसमें सभी ब्लॉक के सीपी एमबीपीएम व प्रभारी अधिकारियों एवं मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता व अर्बन हेल्थ के कोर्डिनेट एवं एनआई के मंडल कोर्डिनेट ने प्रतिभाग किया। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा० आरबी शरण ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा नवजात शिशु मृत्यु को रोकने हेतु बहुत से कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। फिर भी प्रदेश में 1000 में 28 बच्चों की मृत्यु आज भी हो रही है जिसमें लगभग 168000 शिशुओं की मृत्यु एक माह की आयु पूर्ण करने से पहले ही हो जाती है जिसके लिए आवश्यकता है कि चिकित्सालय स्तर व समुदाय स्तर पर जागरूक कर नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाया जाए। न्यूट्रिशन इंटरनेशनल मंडली कोऑर्डिनेटर अपराजिता सिंह ने बताया कि नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का थीम प्रत्येक नवजात शिशु को गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता जन्म के पहले 48 घंटे के अंदर नवजात शिशु की देखभाल अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। नवजात शिशु कि आवश्यक देखभाल के लिए समुदाय को ज्यादा ज्यादा जागरूक किये जाने मुख्य बातें.जन्म के बाद शीघ्र स्तनपान, छह माह तक केवल स्तनपान और छह माह के उपरान्त ऊपरी आहार के द्वारा बच्चों को कुपोषित होने से बचना, शिशुओं का ससमय से नियमित टीकाकरण, प्रसव चिकित्सालय में ही कराने एवं प्रसव पश्चात 48 घंटे तक मां व शिशु कि उचित देखभाल के लिए चिकित्सालय में रुकें, नवजात को तुरंत नहलाये नहीं, शरीर पोछ कर नर्म व साफ कपड़े पहनायें, जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढा पीला दूध पिलाना। और छह महीने तक केवल स्तनपान ही कराये। जन्म के तुरंत बाद नवजात का वजन लेना और विटामिन का इंजेक्शन लगवाना। नियमित और सम्पूर्ण टीकाकरण कराना। नवजात की नाभि सुखी एवं साफ रखें मां व नवजात की स्वच्छता का ध्यान रखें। शिशु का तापमान स्थिर रखने हेतु कंगारू मदर केयर विधि अपनाये।