धीना। अमडा़ गांव में आयोजित श्री भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक रामानुजाचार्य श्री सर्वेश्वराचार्यजी महाराज ने कहा कि एक बार भगवान शंकर और सती दोनों ही कथा सुनने गए थे। भगवान शंकर ने कथा का मन लगाकर श्रवण किया। वहीं मां सती ने कथा में बैठकर संत पर संदेह किया और कथा का अपमान कर दिया। कथा को सुनता है तो कोई भाव विभोर होकर सुनता है। शंकर और सती दोनों की कथा में बैठे रहे पर भगवान ने शंकर ने कथा को सुना आनन्द हुआ। मां सती कथा में बैठ कर के भी कथा का श्रवण नहीं किया। परिणाम भगवान शंकर को प्रभु का दर्शन हुआ तो प्रभु पहचान गए पर मां सती नहीं पहचान पाई और भगवान की परीक्षा लेने चली गई। मानस में तीन देवियां है। उन्होंने तीन तरीके से भगवान को पाना चाहा। एक ने परीक्षा से दूसरे ने समीक्षा से और तीसरे ने प्रतिक्षा से । परीक्षा से मां सती ने समझना चाहा भगवान समझ नहीं आए। समीक्षा से सुपनखा ने समझना चाहा भगवान समझ नहीं आए। लेकिन प्रतीक्षा से मां सबरी ने पाना चाहा तो भगवान नंगे पांव चलकर मां सबरी के दरवाजे पर आए। इस अवसर पर मृत्युंजय सिंह दीपू, जशवंत पाठक, अच्युतानंद त्रिपाठी, शिवपूजन सिंह, रामविलास सिंह, सत्येंद्र सिंह, अर्जुन सिंह, शिवबच्चन सिंह, दिग्विजय सिंह, बलराम पाठक, चन्दिका सिंह, आदि सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।