नई दिल्ली: हाल ही में उत्तराखंड के चमोली में हुए हादसे के बाद 72 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि 200 से ज्यादा अभी भी लापता है। इस घटना के पीछे अचानक आई बाढ़ को कारण बताया जा रहा है। इसके साथ ही अब वैज्ञानिकों ने ऐसा खुलासा किया है, जिसकी वजह से यह ग्लेश्यिर गिरा और यह बाढ़ आई।
मिला जानकारी के अनुसार, उपग्रह से ली गई तस्वीरों के बाद राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने यह पाया कि उत्तराखंड में पिछले महीने जहां पर बर्फ की चट्टान गिरने से यह हादसा हुआ, वहां पर भारी तादाद में अभी भी लोग जा रहे हैं और इससे यहां पर हिमस्खलन के मामले बढ़ सकते हैं।
चमोली जिले में बाढ़ के कारणों पर वैज्ञानिक और पर्यावरण संगठन अभी भी शोध कर रहे हैं। शुरुआती निष्कर्षों से पता चलता है कि एक प्रमुख चट्टान या हिमस्खलन ने नंदा देवी पर्वत में त्रिसूल चोटी के उत्तर-पूर्व की ओर ढलान वाले उत्तर से समुद्र तल से लगभग 5,600 मीटर की ऊंचाई पर खुद को अलग कर लिया। इसके कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में भारी बाढ़ आई।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा पिछले साल जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंदू कुश हिमालय ने 1951-2014 के दौरान लगभग 1.3 डिग्री सेल्सियस तापमान में वृद्धि का अनुभव किया। तापमान में वृद्धि के कारण उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन और तेजी से हिमनद वापसी हो रही है, जिससे बार-बार आवर्तक फ्लैश बाढ़ आ रही है।
काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (CCEW) द्वारा हाल ही में किए गए एक स्वतंत्र विश्लेषण में कहा गया है कि उत्तराखंड में 85 प्रतिशत से अधिक जिलों में नौ करोड़ से अधिक लोग, अत्यधिक बाढ़ और उससे जुड़े कार्यक्रमों के लिए हॉटस्पॉट हैं।