- लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में मचे घमासान के बीच चिराग पासवान इन दिनों मुसीबत में हैं। राम विलास पासवान की विरासत की इस जंग में उनको अपने चाचा पशुपति कुमार पारस से जूझना पड़ रहा है। बीते विधानसभा चनाव के दौरान खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग के मसले पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चुप्पी साध ली। जबकि, चिराग को बीजेपी से साथ की उम्मीद थी। चिराग का कहना है कि बीजेपी के मुश्किल वक्त में वे व उनके पिता रामविलास पासवान चट्टान की तरह खड़े रहे, लेकिन उनके मुश्किल वक्त में बीजेपी से कोई सहयोग नहीं मिल सका। खुद का एलजेपी पर दावा करते हुए उन्होंने कहा कि अगर पशुपति पारस को बतौर एलजेपी सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली तो यह उन्हें मंजूर नहीं होगा।
चिराग पासवान ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा है कि बीजेपी के साथ उनके संबंध एकतरफा नहीं रह सकते हैं। उन्होंने अपने मामले में बीजेपी की चुप्पी को अनुचित करार दिया है। कहा कि अगर ऐसा ही रहा तो वे अपने भावी राजनीतिक फैसलों को लेकर सभी संभावनाओं पर विचार करेंगे। हालांकि, चिराग ने यह भी जोड़ा कि उनका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में विश्वास है।
चिराग ने कहा कि जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने एलजेपी में दो-फाड़ की साजिश रची। उम्मीद थी कि बीजेपी इसमें हस्तक्षेप कर मामले को सुलझाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि अगर बीजेपी अगर उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को बतौर एलजेपी सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देगी तो यह उन्हें स्वीकार नहीं होगा। हां, पशुपति पारस को निर्दलीय या किसी अन्य दल से मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए तो उन्हें आपत्ति नहीं होगी।