पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन का सैन्य अभ्यास
गौरतलब है कि अमेरिकी संसद की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने इस महीने ताइवान की यात्रा की थी। जिसके बाद चीन ने ताइवान को धमकाने के लिए समुद्र में मिसाइल फायरिंग समेत सैन्य अभ्यास किया था। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय ने बताया कि बीजिंग के साथ कोई तनाव की स्थिति नहीं है। हालांकि औपचारिक वार्ता व्यापार और नियामक सहयोग को बढ़ाने को लेकर थी, जिस पर अब आधिकारिक बातचीत होगी।
ताइवान के साथ संबंध बढ़ाने पर अमेरिका का जोर
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के हिंद प्रशांत क्षेत्र के संयोजक कुर्त कैंपबेल ने पिछले सप्ताह बताया था कि ताइवान के साथ व्यापार को लेकर बातचीन हमारे संबंधों को गहरा करने के प्रयासों का हिस्सा होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका अपनी नीति नहीं बदल रहा है।
बता दें कि 1949 में हुए गृहयुद्ध के बाद ताइवान और चीन अलग हो गए थे। ताइवान कभी भी चीन का हिस्सा नहीं रहा है, जबकि चीन इसे अपना हिस्सा मानता है। अमेरिका का ताइवान के साथ कोई आधिकारिक संबंध नहीं है, लेकिन अमेरिका अपने अनौपचारिक दूतावास के माध्यम से ताइवान के साथ गहरा संबंध रखता है।
अमेरिकी कदम के बाद हो सकती है युद्ध की स्थिति उत्पन्न
शी जिनपिंग सरकार ने कहा कि पेलोसी की दो अगस्त की ताइवान यात्रा से द्वीप राष्ट्र को अपने दशकों पुरानी वास्तविक स्वतंत्रता को स्थायी बनाने में मदद मिल सकता है। बीजिंग ने कहा कि इस कदम युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
हालांकि वाशिंगटन ने चीन और ताइवान की स्थिति पर कोई रुख नहीं अपनाने की बात कही है। बल्कि अमेरिकी चाहता है कि दोनों के बीच उत्पन्न विवाद शांति से सुलझ जाए। पिछले सप्ताह कैंपबेल ने कहा था,”हम बीजिंग द्वारा ताइवान को कमजोर करने और ताइवान का समर्थन करने के लिए प्रयासों में स्थिरता के साथ शांत और दृढ़ कदम उठाते रहेंगे।”
ताइवान पहुंचा अमेरिकी सांसदों का समूह
बता दें कि पेलोसी की यात्रा क बाद सेन एड मार्के के नेतृत्व में एक अमेरिकी सांसदों का एक समूह रविवार को ताइवान पहुंचा और राष्ट्रपति साइ इंग वेन से मुलाकात की। जिसके बाद बीजिंग ने दूसरा राउंड सैन्य अभ्यास करने की घोषणा की। अमेरिका द्वारा ताइवान के साथ व्यापार वार्ता को लेकर बीजिंग ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
अमेरिकी कदम से ताइवान को कई क्षेत्रों में मिलेगा लाभ
यूएसटीआर ने कहा, ”यह बातचीत कृषि, श्रम, पर्यावरण, डिजिटल टेक्नोलाजी, खुद के स्वामित्व वाले उद्योगों और गैर मार्केट नीतियों को प्रभावित करेगा।” हालांकि इस बातचीत में कौन अधिकारी शामिल होंगे, इस बात की जानकारी नहीं दी गयी है। लेकिन उन्होंने बताया कि अमेरिकी संस्थान और ताइवान के अनौपचारिक दूतावास के तहत बातचीत होगी।
अमेरिका-चीन के संबंध सबसे निचले स्तर पर
अमेरिका और चीन के बीच संबंध अच्छे नहीं है। बीजिंग द्वारा मुस्लिम अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार और हांगकांग में की गयी कार्रवाई के साथ-साथ सुरक्षा और प्रौद्योगिकी को लेकर अमेरिका और चीन के संबंध सबसे निचले स्तर पर है।