नई दिल्ली, : चैत्र नवरात्रि आज से प्रारंभ हो चुका है जो 11 अप्रैल को रामनवमी के साथ समाप्त होंगे। चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि के साथ चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हुई है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। जानिए मां शैलपुत्री की पूजा विधि और मंत्र के साथ घटस्थापना का शुभ मुहूर्त।
मां शैलपुत्री का स्वरूप
शास्त्रों के मुताबिक, मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री है। मां के एक हाथ में कमल का फूल और दूसरे हाथ में त्रिशूल है। वहीं मां का वाहन बैल है। मां शैलपुत्री का जन्म शैल या पत्थर से हुआ था। इस कारण इन्हें शैलपुत्री कहा गया।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 2 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 58 पर समाप्त
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त- 2 अप्रैल सुबह 6 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त – 2 अप्रैल दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक
इस दिशा में मुंह करके करें देवी की उपासना
देवी मां की उपासना करते समय अपना मुंह घर की पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें। इससे व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
मां शैलपुत्री की पूजा विधि
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि-विधान से करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद एक चौकी को गंगाजल छिड़ककर साफ करें और उसमें लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा और उनके अवतारों की तस्वीर रख दें। इसके बाद मां शैलपुत्री का नमन करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद मां दुर्गा को लाल रंग और शैलपुत्री को सफेद रंग के फूल चढ़ाएं। इसके बाद सिंदूर- चावल चढ़ाएं। फिर सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें और भोग में गाय के घी से बनी चीजें अर्पित करें। इसके बाद मां के सामने घी का दीपक, धूप आदि जलाकर आरती करें।