वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमणके बीच जलवायु परिवर्तनसे स्थिति और विषम हो गयी है। जलवायु परिवर्तनके बढ़ते दुष्प्रभावसे मानवजीवन ही नहीं पृथ्वीके सभी जीवधारियों और वनस्पतियोंके अस्तित्वपर खतरा गहराता जा रहा है। अमेरिकाकी ओर से आयोजित शिखर सम्मेलनमें गुरुवारको भारतके प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने सम्मेलनमें शिरकत कर रहे विश्वके ४० शीर्ष नेताओंसे जलवायु खतरेसे निबटनेके लिए ठोस कदम उठानेपर जोर दिया। उनका यह कहना कि वैश्विक महामारीसे जूझ रही मानवता इस बातका संकेत है कि जलवायु परिवर्तनके खतरे अभी खत्म नहीं हुए हैं, काफी मायने रखता है। शिखर सम्मेलनमें प्रधान मंत्रीका अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेनके साथ मिलकर ‘भारत अमेरिका जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा एजेण्डा २०३० साझेदारी’ की शुरुआत की घोषणा स्वागतयोग्य है। इस एजेण्डेका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी विकसित करना और निवेश जुटाना है। दोनों देश मिलकर हरित भागीदारीको सक्षम बना सकते हैं जिससे भयावह वायु प्रदूषणको कम किया जा सकता है। इसके लिए राष्ट्रपति बाइडेनने अपने देशके लिए ग्रीन हाउस गैसोंके प्रदूषणके स्तरका नया लक्ष्य तय किया है। उन्होंने अगले दस वर्षोंमें कोयले और पेट्रोलियम उत्पादों से होने वाले कार्बन उत्सर्जनमें २००५ के मुकाबले ५० से ५२ फीसदी कटौती करनेका संकल्प भी लिया है। जापानने भी २०३० तक कार्बन उत्सर्जन कटौती का लक्ष्य मौजूदा २६ प्रतिशतसे बढ़ाकर ४६ प्रतिशत करनेका निर्णय किया है। प्रधान मंत्री याशिहिदे सुगाने जापानमें २०५० तक शून्य कार्बन स्तरका लक्ष्य तय किया है जो विश्वके सभी देशोंके लिए प्रेरक संदेश है। कार्बन उत्सर्जनमें कटौतीका लक्ष्य निर्धारित करना प्रशंसनीय है। सम्मेलनमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरसने ग्लोबल वार्मिंगके मुद्देपर वैश्विक नेताओंको चेतावनी देते हुए कहा है कि विश्व एक रेड एलर्टपर खड़ा है। इससे निबटनेके लिए ठोस कदम उठानेकी आवश्यकता है। वायुमें अनवरत कार्बनका अत्यधिक मात्रामें घुलनेसे विश्वके समक्ष जलवायु परिवर्तन की गम्भीर चुनौतियां उत्पन्न हो गयी है। इसके लिए मनुष्य स्वयं जिम्मेदार है। विकसित देश सर्वाधिक कार्बनका उत्सर्जन करते हैं। इसे कम करनेके लिए आवश्यक और सार्थक कदम उठानेकी जरूरत है। शिखर सम्मेलनके माध्यमसे कार्बन उत्सर्जनमें कमी लानेके लिए वैश्विक नेताओंको एकजुट करनेका अमेरिकी राष्ट्रपतिका प्रयास सराहनीय है। मौजूदा जलवायु शिखर सम्मेलन पृथ्वीकी रक्षा करनेके उद्देश्य से बेहद अहम है। इसके लिए सभी देशोंको आगे आना होगा।
सार्थक सन्देश
कोरोना महामारीके चलते देश गंभीर संकटके दौरसे गुजर रहा है। इससे उबरनेके लिए केन्द्र और राज्य सरकारोंकी ओरसे अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। अनके सामाजिक संस्थाएं भी इस दिशामें सक्रिय हैं। देशपर जब भी संकट आया है तब उद्योग जगतने अपने राष्ट्रधर्मका बखूबी निर्वहन किया। उद्योग जगतसे पुन: अपेक्षाएं की जा रही है, जो सार्थक और समयकी मांग है। इसी क्रममें देशके प्रमुख महिन्द्रा उद्योग समूहके अध्यक्ष आनन्द महेन्द्राने टीकाकरणके लिए उद्योग जगतसे आगे आनेकी अपील की है और कहा है कि जबतक कम्पनियोंको कोरोना टीके की सीधी आपूर्ति मिलनी शुरू होती हैं, तब तक वे खुलेमें टीकाकरण शिविर लगाकर अस्पतालोंकी सहायता कर सकती हैं। इससे अस्पताल परिसरोंमें संक्रमण फैलनेके जोखिमसे बचा जा सकेगा। इससे अस्पतालों की नियमित गतिविधियोंपर भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। खुले स्थानोंपर संक्रमण फैलनेका खतरा भी होगा। महेन्द्रा उद्योग समूहने देशकी वर्तमान स्थितिके सन्दर्भमें सभी उद्योग समूहोंको सार्थक सन्देश दिया है। सम्पूर्ण भारतमें टीकाकरण अनिवार्य रूपसे होना चाहिए। आबादीकी दृष्टिïसे भारत बड़ा देश है। सिर्फ सरकारके ऊपर बोझ नहीं डाला जा सकता है। उद्योग समूहोंकी भी इसमें महत्वपूर्ण भागीदारी होनी चाहिए। इससे देशका बड़ा कार्य होगा और विश्वके सबसे बड़े टीकाकरण अभियानको सफल बनानेमें काफी हदतक सहायता मिलेगी। वैसे कई उद्योग समूह महामारीमें यथासम्भव सहयोग कर रहे हैं लेकिन इससे मुक्त हस्त सहयोग करनेकी जरूरत है। देशवासी सुरक्षित रहेंगे तो देश भी सुरक्षित रहेगा। इसमें जन-जन सहयोगकी आवश्यकता है। उद्योग समूहोंके लिए जन सुरक्षा और कल्याणके लिए यह बड़ा अवसर है। उम्मीद है कि इससे सभी औद्योगिक घरानोंको प्रेरणा मिलेगी और वे इस दिशामें आगे आयंगे।