पटना

जल निकाय का एटलस अप्रैल में होगा प्रकाशित, गजेटियर प्रकाशित करने वाला बिहार पहला राज्य


पटना (आससे)। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधीन गजेटियर पुनरीक्षण शाखा द्वारा गजेटियर कम एटलस ऑफ वाटर बॉडीज ऑफ बिहार का प्रकाशन कार्य तीव्र गति से अग्रसर है। राज्य के सतही जल निकायों का यह एटलस विभिन्न जिलों में उपलब्ध सभी सतही जल निकायों का मानचित्र प्रस्तुत करेगा। विभाग के अपर मुख्य सचिव, विवेक कुमार सिंह के अनुसार भारत में जल निकायों को गजेटियर के रूप में प्रकाशित करनेवाला बिहार पहला राज्य होगा। इस पर जनवरी में कार्य प्रारंभ हो गया है।

सरकार की महत्वकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली अभियान के तहत सर्वेक्षित एवं सत्यापित जल निकायों के भू-संदर्भित आंकड़े जिसमें जल निकायों की अवस्थिति को पैमाना एवं माप अक्षांश-देशान्तर के साथ दर्शाया जाएगा।

जल निकायों के सर्वेक्षण, निरीक्षण एवं संरक्षण के उद्देश्य से संकल्पित इस एटलस से सरकार एवं विभिन्न विभागों को जल निकायों के खेत्रीय प्रसार के मूल्यांकन में मदद मिलेगी। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा किये गए जल निकायों के सर्वेक्षण का यह भारत में प्रथम प्रकाशित पुस्तक होगा, जो क्षेत्रीय प्रशासन के न्यूनतम स्तर तक उपलब्ध होगा।

राज्य के विकास संबंधी योजनाओं के नियमन में भी सरकार के विभिन्न विभागों को इस एटलस के माध्यम से सहायता प्राप्त होगी। यह प्रकाशन राजस्व विभाग के अतिरिक्त सिंचाई, ग्रामीण विकास, कृषि, योजना, आपदा प्रबंधन, कला संस्कृति आदि विभागों के लिए भी समान रूप से उपयोगी साबित होगा।

एटलस पहली बार बिहार राज्य के राजस्व ग्रामों का भू-संकल्पित मानचित्र प्रस्तुत करेगा। पैमाना आधारित मानचित्रों के कारण इस एटलस में प्रदर्शित गांव एवं पंचायतों का क्षेत्रफल एवं उनके मध्य की दूरी भी मापी जा सकेगी।

श्री विवेक सिंह ने बताया कि अप्रैल, २०२१ तक इस एटलस को प्रकाशित कर लिया जाने का लक्ष्य निर्धारित है। इस २५० पृष्ठीय एटलस में राज्य के सभी जिलास्तरीय १०० से अधिक नदियों एवं ५० हजार से अधिक तालाबों, नदियों, नहरों, आहरों एवं पईनों का मानचित्रण ग्राम एवं प्रखंड स्तर पर दर्शाया जाएगा। प्रत्येक जिले के मानचित्रों को इस प्रकार से प्रकाशित किया जाएगा कि सार्वजनिक एवं निजी तालाबों का पृथक रूप में पहचान की जा सकेगा।

तकनीकी सहयोग के स्तर पर भारत सरकार के विभिन्न संस्थानों के अतिरिक्त बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग, जल संसाधन विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से सहयोग लिया जा रहा है।