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जाने कौन हैं मलयालम की अम्मा बालमणि, जिन्हें डूडल बनाकर गूगल ने किया याद


नई दिल्ली, । Balamani Amma: देश में एक से बढ़कर कवयित्रियां रही हैं,जिन्होंने अपने लेखन से सबके दिलों में एक अलग जगह बनाई। इनमें फिर चाहें वे ,महादेवी वर्मा, सरोजनी नायडू, सुभद्रा कुमारी चौहान, अमृता प्रीतम, कमला सुरैय्या जैसे कई नाम शामिल हैं। इनमें से ही एक नाम है, बालमणि अम्मा। बालमणि अम्मा को मलयालम साहित्य की ‘अम्मा’ और ‘मुथस्सी’ (दादी) के रूप में जाना जाता हैं। केरल के त्रिशूर जिले से ताल्लुक रखने वाली बालमणि अम्मा का जन्म 1909 में हुआ था।  आज उनका यानी कि, 19 जुलाई, 2022 को जन्मदिन है। वहीं इस खास दिन पर गूगल ने उन्हें डूडल बनाकर याद किया है। वहीं आज उनके जन्मदिन के मौके पर आइए जानते हैं, उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलू।

ये मिल चुके हैं सम्मान 

बालामणि अम्मा को उनके शानदार लेखन के लिए पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार और सरस्वती सम्मान सहित कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। केरल के पुन्नारयुरकुलम में जन्मी बालामणि अम्मां को लोग सम्मान से “मातृभूमि की कवयित्री” भी कहते हैं।

लेखन की ऐसे ही शुरुआत

मलायलम साहित्य की अम्मा के बारे में कहा जाता है कि, औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की। अपने मामा के पुस्तक संग्रह को पढ़ती रहती थीं। यहीं से उनके भीतर लिखने का शौक जागा और फिर बालामणि अम्मां इस क्षेत्र में आगे बढ़ती चली गईं।

इस दिन प्रकाशित हुई थी पहली कविता

बालमणि अम्मा की पहली कविता Koppukai 1930 में प्रकाशित हुई थी, जब वह सिर्फ 21 वर्ष की थीं। उन्होंने कविताओं के 20 से अधिक संकलन, साथ ही अनुवाद जैसे अन्य कार्यों को प्रकाशित किया था।